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A full essay on "Internet" in hindi - इंटरनेट पर निबंध?

हेल्लो दोस्त इस पोस्ट में आपको internet (इंटरनेट) पर फुल निबंध (hindi essay) पढ़ने को मिलेगा जिससे आपको Internet Technology के उपयोग और इसके इतिहास (History) के बारे में भी जानने को मिलेगा तो चलिए शुरू करते हैं.

Internet: Aa Imagination of World - Village?

भूगोल की सीमा में बंधा आज का आदमी सुचना और प्रोधोगिकी की उपयोगी और सुगम व्यवस्था के दम पर तकनीक के क्षेत्र में नई-नई इबारते लिख रहा है ! इन्टरनेट नाम की सुविधा सारे विश्व को एक ही जगह पर अपने आलिंगन में समेट रही है ! आज घर बैठे ही हमारे सम्बन्ध किसी दूर-दराज की बोद्धिक प्रतिभा से आसानी से जुड़ पा रहे है ! आज मानवीय सम्बन्ध एक उज्जवल परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है ! आज के इंसान की सभी राजनैतिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक गतिविधिया ई-सुविधा से लाभ प्राप्त कर रही है ! और यह सब इन्टरनेट की वजह से सम्भव हो पाया है.

History: Use of Internet?

शीत-युद्ध की वजह से अमेरिका में इन्टरनेट का जन्म हुआ !1960 के दशक में अमेरिकी सरकार ने चाहा की यदि रूस की और से कोई हमला या हमले की स्तिथि हो तो उसकी शक्तियों का विकेंद्रीकरण हो और यह अधिकार किसी एक व्यक्ति के पास सिमित न रहे इसका मतलब साफ़ था की खतरे की स्तिथि में सारी शक्ति केन्द्रित रहे ! अनुसन्धान से विकसित हुई इस प्रणाली को क्रमशःTCP और IP कहा गया !शुरुआत में इनमे मुख्यतः इसमें सिर्फ इन्टरनेट रजिस्ट्री, डोमेन नाम ओर डेटाबेस का आवंटन और वितरण की प्रणाली ही थी ! बाद में इसकी सेवाओं में लगातार सुधार हुआ और कई आवश्यक घटक इसमें जुड़ते चले गए जो आज तक अनवरत रूप से किसी न किसी लेटेस्ट सॉफ्टवेर के रूप में लगातार जारी है.

Reason of Internet Popularity?

विभिन्न प्रकार की सेवाओ तथा विविध प्रणालियों से इन्टरनेट को ज्यादा लोकप्रियता हासिल हुई ! कई प्रकार के वेब ब्राउज़र इन्टरनेट के उपयोग को रोचक और सरल बनाते है ! ई-मेल सेवा ने लोगो की टेलीफोन पर निर्भरता को समाप्त ही कर दिया है ! यह तीव्र और कम खर्च में डाक भेजने का सबसे आसान तरीका है ! इसी तरह डाक सूचियां, सूची सेवाएँ और बुलेटिन बोर्ड भी इसी प्रणाली के अंतर्गत आते है ! इन्टरनेट से जुड़कर हम कोई भी समाचार या बुलेटिन सीधे प्राप्त कर सकते है ! दुसरे शब्दों में इन्टरनेट ही एक ऐसा माध्यम है जो वर्तमान में नेट न्यूज़ उपलब्ध करता है ! telnet जैसे उपकरण से प्रथ्वी के किसी भी भाग में एक कंप्यूटर दुसरे कंप्यूटर से जुड़ जाता है ! FTP किसी भी कंप्यूटर में FILE के स्थानान्तरण का सबसे बढ़िया माध्यम है ! इस तरह इसके विविध आयामों के जुड़ने से इन्टरनेट और भी व्यापक और प्रभावशाली बन गया है.

Importance of Internet in Modern Market?

इन्टरनेट की व्यापकता से भोगोलिक सीमाओ का नियंत्रण समाप्त होकर सम्पूर्ण विश्व ही एक बाज़ार बन गया है ! इन्टरनेट के बल पर आज कम समय और कम श्रम में व्यावसयिक निर्णय लिए जा रहे है ! साथ ही प्रशासन के सारे फैसले भी E-GOVERNANCE के माध्यम से साझा होते जा रहे है ! भविष्य में भी सभी ग्राम पंचायतो को INTERNET से जोड़े जाने का विचार है ! जिससे ग्रामीण लोगो को भी आसानी से सारी सूचनाये प्राप्त हो सके ! इस प्रकार इन्टरनेट वर्तमान में व्यक्तिगत लाभ से लेकर जन कल्याण तक सभी के लिए एक उपयोगी युक्ति साबित हुई है ! समाचार पत्र से लेकर पुस्तकालय तक, बाज़ार भाव से सूचकांक तक और आरक्षण से लेकर बैंकिग क्षेत्र तक इन्टरनेट के बिना आज का कंप्यूटर भी पंगु हो गया है.

Internet: As a Challenge in Rural Field?

सुचना और शक्ति के बराबर आदान-प्रदान वाले इस युग में इन्टरनेट से सबंधित कुछ जटिलताये भी है ! जैसे भारत जैसे विकाशशील देश के कुछ क्षेत्रो में जरूरी आधारभूत सुविधाए यथा –बिजली पानी स्वास्थ्य साक्षरता भोजन आवास आदि की समुचित व्यवस्था नहीं हो पी है तो फिर ऐसे क्षेत्र में इन्टरनेट की बेसिक नॉलेज भी पंहुचा पाना अत्यंत कठिन काम है ! क्योंकि गाँवों में कंप्यूटर के उपयोग हेतु निर्बाध रूप से बिजली की आवश्यकता पड़ती है ! इसलिए इस क्षेत्र के कुछ समर्थ लोगो को भी समाज और शिक्षा के प्रति अपने कर्तव्यो का निर्वाह करना पड़ेगा ! मुख्यालयों से दूरी और निर्जन क्षेत्र होने से इनमे आधारभूत सुविधाओं का स्तर बहुत ज्यादा निम्न श्रेंणी का है.

Internet in Upcoming Days?

इन्टरनेट आज पूरी दुनिया में सुचना देने का प्रमुख स्तोत्र बन गया है ! वस्तुओ को ऑनलाइन सेलेक्ट करना, आर्डर देना, और खरीदना आसान हो गया है ! उत्पादन और विज्ञापन का कारोबार भी सरल हो गया है ! जरूरी न्यूज़ और हर विषय से सम्बंधित किताब हमारे एक क्लिक पर सामने आ जाती है ! घर बैठे हम मंडी भाव, आपदा-निवारण के तरीके, स्वास्थ्य सेवाओ के बेहतर उपयोग, शिक्षा का सर्वत्र प्रचार-प्रसार कर सकते है ! हमारे गाँवों तक सुचना का आदान-प्रदान तेजी से हो रहा है ! इस प्रकार हम कह सकते है की भविष्य में इन्टरनेट सम्पूर्ण विश्व को एक ही ग्राम बनाने की हमारी संकल्पना को साकार करने की और अग्रसर है.

A full essay on "newspaper" in hindi - समाचार पत्र पर निबंध?

हेल्लो दोस्त इस पोस्ट में आपको newspaper पर full essay in hindi language में या समाचार पत्र पर निबंध पढनें को मिलेगा और साथ ही history of newspaper और इसके बारे में अन्य सामान्य जानकारी भी प्राप्त होगी तो चलिए शुरू करते हैं.


History of Newspapers in hindi - समाचार पत्र का इतिहास?

सामाजिक प्राणी होने के नाते आज का मानव जिज्ञासा और ज्ञान की और सदैव आमुख रहता है ! वह लगातार बदलती हुई देश-विदेश की सामाजिक ,आर्थिक, और राजनैतिक परिस्तिथियों पर नजर बनाये रखना चाहता है ! आज के वैज्ञानिक युग में रोज नए-नए आविष्कार हो रहे है और इन सबको जानने का सबसे सस्ता माध्यम समाचार पात्र ही है ! इसमें सम्पूर्ण विश्व में घटित ताजा घटनाओ का सारपूर्ण संकलन होता है ! आज से कुछ शताब्दी पहले तक कोई समाचार पत्रों को जानता तक नहीं था ! तब संदेशवाहक होते थे जो यहाँ से वहा समाचार पहुचाने का कार्य करते थे ! इनकी शुरुआत के बारे में कई लोगो के अपने –अपने मत है ! कुछ लोगो का मानना है की समाचार पत्रों का जन्म इटली के वेनिस नगर में हुआ तो कुछ लोग इस बात पर जोर देते है की 1609 में जर्मनी से इनकी शुरुआत हुई.

Starting of Newspaper in India - भारत में शुरुआत?

भारत में सबसे पहले सन 1834 में INDIA-GUDGET नामक समाचार पात्र का प्रकाशन हुआ ! मुद्रण कला की प्रगति होने के बाद हिंदी का पहला साप्ताहिक समाचार पत्र, 30 मई 1826 को प्रकाशित हुआ जो उदंत-मार्तंड के नाम से जाना जाता था ! फिर राजा राम मोहन राय ने कौमुदी तथा ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने भी प्रभाकर नामक पत्र निकाले ! इसके बाद तो एक-एक करके सारे देश में ही कई प्रसिद्ध समाचार पत्रों का प्रकाशन शुरू हो गया और पाठकों की रूचि के अनुसार उनकी संख्या लगातार बढ़कर आज 50000 प्रतिदिन तक आ गयी है ! इनमे दैनिक तथा साप्ताहिक सभी प्रकार के समाचार पत्र सम्मिलित है ! रोजाना छपने वाले समाचार पत्र दैनिक तथा सप्ताह में सिर्फ एक बार छपने वाले समाचार पत्र साप्ताहिक कहलाते है इसी तरह एक पखवाड़े में छपने वाला समाचार पात्र पाक्षिक कहलाता है.

Newspaper: Face of World?

समाचार पत्रों के माध्यम से ही देश में लोकतंत्र को अपार सफलता मिली और ये जनता की आवाज तथा आपसी संवाद का माध्यम भी बने ! कई महान देशो के उत्थान और पतन में भी समाचार पत्रों का विशेष योगदान रहा ! समाचार पत्र कई आन्दोलन और विरोध सम्बन्धी घटनाओ के जनक रहे है ! एक समय था जब समाचर पत्रों की स्तिथि देश में सभी जगह अच्छी नहीं थी और लोगो को घटनाओ की आवश्यक जानकारी के लिए भी इधर से उधर भटकना पड़ता था ! कई मामलो में तो घटना के घटित हो जाने के कई दिनों बाद तक लोगो को इसका पता चलता था ! आज समाचार पत्रों ने अन्तराष्ट्रीय दूरी को भी कम कर दिया है ! अधिकतर समाचार पत्रों में सामाजिक मूल्यों को ही महत्व तथा प्राथमिकता दी जाती है ! समाचार पत्र से अभिप्राय ही है –की सबके साथ सामान आचरण होना.

Newspaper: Background Process?

किसी भी समाचार पत्र की सफलता उसके संवाददाता पर निर्भर करती है साथ ही इसके संपादन और व्यवसाय में अधिक लोगो और धन की आवश्यकता पड़ती है ! एक समाचार पत्र संवाददाता के बाद उसके संपादक फिर COMPOSSING के लिए भेजा जाता है ! यहाँ से निकल कर वह अपने अगले स्तर PROOFING उसके बाद पेज और अंत में छपने के लिए MACHINE विभाग में भेजा जाता है ! पूरी तरह तैयार हो जाने के बाद उसे हवा , रेल या सड़क मार्ग की यात्रा करनी पड़ती है ! वितरण करने से पहले इसमें स्थानीय विज्ञापन ,उत्पाद आदि भी सम्मिलित कर दिए जाते है ! इनमे युवा से लेकर वृद्ध तक तथा बच्चो से लेकर महिलाओ तक पठन सामग्री उपलब्ध रहती है.

Types of Newspapers in Iindia?

भारत में समाचार लगभग सभी भाषाओ जैसे हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी, बंगाली, मराठी, संस्कृत आदि में छपते है ! विभिन्न क्षेत्रो तथा बोले जाने वाली भाषाओ के आधार पर यह स्तिथी अलग-अलग स्तर तक पाई जाती है ! प्रमुख भारतीय हिंदी अखबार-नवभारत टाइम्स, देनिक हिंदुस्तान, राष्ट्रीय सहारा, अमर उजाला, दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका, पंजाब केसरी आदि है ! अंग्रेजी में छपने वाले अखबारों में टाइम्स ऑफ़ इंडिया, हिन्दुस्तान टाइम्स, इंडियन एक्सप्रेस एशियाई ऐज आदि प्रसिद्ध है ! इनके अलावा भी कई ऐसे स्थानीय अखबार है जिनकी संख्या कम होने या क्षेत्र विशेष में पहुच होने से वो इतने प्रसिद्ध नहीं हो पाए है.

Newspapers future in India?

वर्तमान में विचारों की प्रधानता है और विचारो को स्पष्ट और सही रूप में व्यक्त करने का श्रेष्ठ साधन समाचार पत्रों के अलावा और कुछ हो नहीं सकता ! समाचार पत्रों की पहुँच देश के कोने-कोने में गरीब, असहाय, आम जनमानस से लेकर सभ्य, शिक्षित और संपन्न लोगो तक है ! समाचार पत्र समाज और राजनीति की कुरीतियों को भी हटाने तथा विरोध करने में अब तक सफल साबित हुए है ! समाचर पत्र सरकार की तानाशाही नीतियों को आम जनता को प्रभावी रूप में समझाते है और उस राजनैतिक दल की दशा और दिशा परिवर्तन करने की क्षमता रखते है अतः भारत में समाचार पत्रों का भविष्य अत्यंत ही उज्जवल है.

Essay on Confused Youth : Reason and Solution in Hindi?

युवा अवस्था में कर्त्तव्य का पालन करना ही सबसे बड़ा धर्म माना गया है ! परिवार के सदस्यों की जरूरतों का ध्यान रखना, उनका मान-सम्मान करना, अपने देश के प्रति गर्व का भाव, उसकी छवि का ध्यान रखना, सामाजिक परम्पराओ का सम्मान, स्वच्छ और सार्थक राजनीति के लिए संघर्ष करना, शिक्षा के प्रति जागरूक रहना तथा नशे से दुरी बनाये रखना – आदि ! उत्तरदायित्वों से आज का युवा दूर होता जा रहा है ! आजकल के युवा के confuse होने का प्रमुख कारण है- मूल उद्देश्य से दूरी बनाना, नैतिकता का त्याग कर देना ,अनुचित उद्देश्य की पूर्ती करने हेतु कई प्रकार के अवांछित कार्यों को प्राथमिकता देना-आदि ! इस स्थिति से आज के युवा का आचरण के साथ ही उसकी आदतों और उसके चरित्र का पतन भी दिखाई देने लगा है ! यह स्थिति लगातार हमारे सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक मूल्यों को गिरा रही है और साथ ही राष्ट्र के लिए भी घातक है.


CINEMA : EFFECT ON YOUTH?

वर्तमान में अश्लील फिल्मो की संस्कृति ने युवा वर्ग को अपने मूल आदर्शो से ही विमुख कर दिया है !इससे उनमे वैचारिक शुन्यता का भाव ,चरित्र की हीनता और साथ ही भ्रष्टता भी बढ़ रही है ! युवा वर्ग में निराशा का प्रमुख कारण है- बेरोजगारी और आरक्षण की नीति से यह स्थिती और भी ज्यादा खराब हो गयी है ! आज का युवा वर्ग अपनी महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए कई प्रकार के short-cut और अनैतिक रास्ते अपनाने लगा है ! आजकल के युवा को अधिक से अधिक धन तथा बहुत सारे अधिकार अपने पास चाहिए और यह मानसिकता मूलतः उपभोक्ता संस्कृति से ही पैदा हुई है ! कई अन्य युवा भी ऐसे ही युवाओ का अनुसरण करने लगे है जिससे उनका भी चरित्र पतन और आचरण भ्रष्ट हो गया है ! विभिन्न प्रकार की कुत्सित मनोवृत्ति वाले युवा ऐसे कुकर्त्य कर बैठते है और इन सबके पीछे है विलासिता के साधनों का अधिक प्रयोग, विभिन्न प्रकार के मादक पदार्थो का सेवन करना –आदि ! आज का कोई भी युवा पाश्चात्य संस्कृति से अछुता नहीं रह गया है ! fashion के नाम पर अर्धनग्न पश्चिमी पहनावा और मनोरंजन के भरपूर साधनों का चलन आज के सभ्य -समाज में सामान्य सी बात हो गयी है .

USELESS: EDUCATION SYSTEM?

हमारी शिक्षा प्रणाली ऐसी है की छात्र-छात्राओ को बचपन से ही सार्थक ज्ञान नहीं मिल पाता इससे उनकी रचनात्मकता और सर्ज्जन शक्ति का लगातार हास होता चला जाता है और आधा –अधूरा ज्ञान प्राप्त होने से वो नशे आदि का सेवन करने लगते है ! vote-bank की राजनीती ने देश में असंतुष्ट और बेरोजगार युवाओ की एक फौज सी खडी कर दी है और लूट, अपहरण, हत्या आदि तक उनका यह स्तर गिर जाता है ! कई मामलो में तो शिक्षा-प्रणाली में राजनैतिक दबाव तक देखा गया है ! कई तात्कालिक उदाहरण ये भी बताते है की आजकल की युवतियां भी ऐसे अनर्गल और अनैतिक कार्यों में संलिप्त पी गयी है जो की बड़े ही शर्म का विषय है लगातार बढ़ती आक्रोश की भावना से देश में अपराधो की बाढ़ सी आ गयी है और हत्या, बलात्कार, डकैती जैसे अपराध आज सर्वत्र बहुत ही सामान्य हो गए है ! वर्तमान में हमारे युवा वर्ग का इस स्थिति की और लगातार चलते रहना इस समाज और देश के भविष्य के लिए अत्यंत ही हानिकारक सिद्ध होगा इसलिए शीघ्र ही इस स्थिति पर नियंत्रण पाना वर्तमान समय की गंभीर आवश्यकता है .

Guardians: responsibilities of children?

आजकल के माता-पिता, guardians और घर के सभी बड़े लोगो का कर्तव्य है की बचपन से ही वे उनके बच्चो को उनकी संस्कृति और सभ्यता , जीवन के मूल्यों , नैतिकता और आदर्शो ,सिद्धांतो से अवगत कराये क्योंकि बाल मन का कोमल मस्तिष्क ही देश और धर्म के प्रति कर्तव्यो का अनुसरण कर सकता है ! व्यस्क होने पर आज कल के वातावरण में ये सब बाते उन्हें व्यर्थ लगने लगती है इसके लिए हमें सर्वप्रथम विदेशी सभ्यता का अन्धानुकरण छोड़ना होगा और हमारी गोरवशाली परंपरा का महत्व समझाना होगा Entertainment के नाम पर फैलाई जा रही इस अश्ललीलता को नियंत्रण में लेते हुए इसे भारतीय संस्कृति के अनुकूल बनाना होगा, साथ ही इस देश की सरकार को भी बेरोजगारी और गरीबी जैसी विकट समस्याओ के स्थायी उपाय ढूँढने पड़ेंगे ! शिक्षा का सर्वत्र प्रचार-प्रसार , कड़ी -मेहनत, ईमानदारी और सयंम्शीलता जैसे नैतिक गुणों से ही आज के दिग्भ्रमित-युवा को आधुनिक भारत का भविष्य निर्माता बनाया जा सकता है.

A full essay on "Talent-Migration" in hindi - प्रतिभा-प्रवासन एक विकट समस्या?

इस पोस्ट में Talent-Migration (प्रतिभा-प्रवासन एक विकट समस्या) पर हिंदी निबंध (hindi essay) पढने को मिलेगा तो चलिए शुरू करते हैं? आपको किसी भी देश के शिक्षित नौकरीपैशा वर्ग जैसे DOCTOR, ENGINEER और SCIENTIST आदि के प्रतिभाशाली लोगो का बेहतर सुविधा मिलने पर किसी दुसरे देश में चले जाना ही प्रतिभा का पलायन कहा जाता है ! किसी भी विकसित या विकाशसील देश में प्रतिभाशाली लोगो का होना उस देश की आर्थिक प्रगति के लिए अत्यन्य आवश्यक है ! प्रतिभा का पलायन होने की समस्या वर्तमान में भारत जैसे देश में भी पैर पसार रही है और इसके महत्वपूर्ण कारण है-resources की कमी, जरूरी सुविधओं का अभाव होना, सरकार की तरफ से की जाने वाली उपेक्षा -आदि !सरकार की तरफ से की जाने वाली यह उपेक्षा इंदिरा गाँधी के कार्यकाल से लेकर वर्तमान तक किसी न किसी रूप में विधमान रही है ! जहा एक और यहाँ की सरकारे संसाधन और बजट की कमी बताकर इस समस्या की गंभीरता को लगातार बढ़ाए चली जा रही है वही दूसरी और विदेशी आर्थिक स्थिती से संपन्न सरकारे विशेष package के नाम पर लगातार इन्हें अपनी और आकर्षित कर रही है.



Indian Example of Talent-Migration?

हरगोविंद खुराना का उदाहरण भी इन्ही में से एक है !1968 में नोबेल पुरूस्कार से सम्मानित होने के बाद डा. खुराना काफी प्रयास करके भी नौकरी न पा सके और अंततः उन्हें अपने अनुसंधान के लिए पहले England फिर Canada जाना पड़ा ! आखिर उन्हें America की नागरिकता लेनी ही पड़ी ! ठीक इसी प्रकार भारत के एक प्रसिद्ध गणितज्ञ डा वशिष्ठ नारायण सिंह भी इसी स्तिथि का शिकार बने और अपना मानसिक संतुलन खोकर भिखारी के रूप में गली-गली घूमना पड़ा ! आज भी डा सिंह का भारत सरकार पर यह एक तरह का दाग ही है ! शायद अमेरिका में उन्हें ऐसी परिस्थितित्या नहीं देखनी पड़ती ! ऐसी महान हस्तियों की ऐसी दुर्दशा देखकर अन्य भारतीय प्रतिभाये भी पलायन की और अग्रसर होती है और हमे इसमें कोई आश्चर्य भी नहीं होना चाहियें ! गहराई से विवेचना करे तो हमे एक के बाद एक कई ऐसे उदहारण देखने को मिलेंगे जैसे-गामा पहलवान को हलवाई की दूकान चलाकर अपना जीवन-यापन करना पड़ा, एक भारोतोलक को बोकारो के स्टील प्लांट में अपना जीवन यापन करना पड़ा ! एक अन्य प्रासंगिक उदाहरण देखिये की- भारत के प्रसिद्ध शतरंज खिलाडी विश्वनाथन आनंद को अपने खर्चे पर अमेरिका में रहना पड़ा और सरकार ने उनके रुकने तक की व्यवस्था नहीं की ! हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद की अंतिम अवस्था कष्टदायक थी, अश्क-जैसे साहित्यकार ने परचून की दूकान चलाई.

Unprofessional: Education System?

इसका प्रमुख कारण हमारी शिक्षा व्यव्स्था की अनियमितता, अराजकता -आदि है ! एक सर्वे के अनुसार आज भी अमेरिका में स्थानीय doctor की संख्या से अधिक भारतीय doctor है ! ऐसा नहीं है की वर्तमान प्रतिभाओ में देशभक्ति का अभाव है डा. अब्दुल कलाम को अमरीकी सुविधाओ ने अपनी और नहीं खीचा और वे अपनी काबिलियत के दम पर यही भारत में ही मिसाइलमैन बने, इसी तरह मेजर ध्यानचंद ने भी हिटलर का प्रस्ताव ठुकराया था ! ऐसा नहीं है की इस समस्या के पीछे सारे नैतिक कारण ही है और न ही हमारे शिक्षा प्रणाली में कोई विशेष परिवर्तन आये है! इस तरह गहराई से विचारने पर ये सब तर्क हमे अनावश्यक ही प्रतीत होते है.

Migration of Civil Service Talent?

सिविल सेवाओ में भी प्रतिभा का पलायन एक महत्वपूर्ण विषय है ! UNCTAD की एक ताजा रिपोर्ट बताती है की एक भारतीय Engineer का खर्चा 55000 डॉलर है जो की भारत जैसे विकाशशील देश के लिए बहुत ज्यादा है सिविल सेवा के अधिकारियो में इन डॉक्टर और इंजिनियर की संख्या लगातार बढती जा रही है जिससे इनके क्षेत्र में इस प्रतिभा की लगातार कमी होती जा रही है! डिग्रीधारियो के प्रशासन में जाने से देश को दोहरी मार पड़ रही है ! इस तरह एक और इनकी शिक्षा में बहुत ज्यादा पैसा लगता है तो दूसरी और इनकी प्रतिभा का उचित उपयोग भी नहीं हो पाता है !

सारे आकडे देखे जाए तो एक बात बिलकुल साफ़ है की पलायन के पीछे छुपा हुआ मूल कारण विवशता ही है ! सामान्यतया प्रतिभाये अपने उज्जवल भविष्य को देखते हुए पलायन को विवश होती है ! अन्य समस्यों की तरह यह भी भारत की एक ज्वलंत समस्या है जिसका जल्दी ही निराकरण किया जाना आवश्यक है ! इसके लिए यहाँ की सरकारों को वो सभी सुविधाएँ इन प्रतिभाओ को देनी पड़ेंगी जो इन्हें विदेशो में वर्तमान में मिल रही है, आरक्षण आदि की कुरीति का त्याग करना पड़ेगा, भेदभाव भुलाकर योग्यता को प्राथमिकता देनी पड़ेगी ! अन्यथा भारत को सर्वोच्चता के शिखर पर ले जाने का यह स्वप्न केवल दिवा स्वप्न ही बनकर रह जायेगा.

Laxmi Niwas Mittal Biography in Hindi - लक्ष्मी निवास मित्तल जी की जीवनी?

हेल्लो मित्र जानते हैं "लक्ष्मी निवास मित्तल जी" (A short Laxmi Niwas Mittal Biography in Hindi) के जीवनी के बारे में जो स्टील के शहंशाह है? इस पेज में आपको लक्ष्मी निवास मित्तल जी के जीवन पर एक निबंध पढ़ने के लिए मिलेगा तो चलिए शुरू करते हैं.

लक्ष्मी निवास मित्तल जी का जीवन परिचय?

लक्ष्मी निवास मित्तल का जन्म राजस्थान के बाड़मेर में हुआ था ! उनके पिता का नाम मोहन लाल मित्तल था, मित्तल की शिक्षा लन्दन में हुई ! उन्होंने अपने इस्पात व्यापार की शुरुआत एक छोटे से व्यापारी के रूप में की किन्तु आज मित्तल विश्व का सबसे बड़े इस्पात उपादक के रूप में जाने जाते है ! उनको स्टील का उत्पादन करने वाली विशाल कम्पनियों को खरीदने की धुन है ! सर्वप्रथम उन्होंने एक इंडोनेशियन कम्पनी को खरीदा था और देखते ही देखते विश्व की स्टील उत्पादन करने वाली दूसरी सबसे बड़ी कंपनी आर्सलर को खरीद लिया ! आर्सलर कंपनी नीदरलैंड के व्यापारी जोसफ कीन्स की है.

लक्ष्मी मित्तल जी का व्यापारिक सफ़र?

मित्तल को आर्सलर को खरीदने हेतु काफी मशक्कत करनी पड़ी ! जब उन्होंने आर्सलर खरीदने का इरादा व्यक्त किया तभी यूरोप के व्यापार जगत उनकी इस मंशा का विरोध किया ! यूरोपियन व्यापार जगत का तर्क था की मित्तल भारतीय समुदाय से सम्बन्ध रखते है तथा सामान्यत: ये देखा गया है कि एशियन विशेषकर भारतीय उतने प्रोफेसनल नै होते जितने कियूरोपियन ! दूसरी समस्या थी की आर्सलर में 62000 के लगभग कर्मचारी विश्व भर में कार्य करते है तथा उनमे अधिकांश यूरोपियन है ! उनको मित्तल की क्षमता पर संदेह था की वह उन कर्मचारियों को उस तरह से नहीं रख पाएंगे जिस प्रकार से यूरोप की आर्सलर कंपनी का प्रबंधक उन्हें रखता था ! भारतीय समुदाय का अपना तर्क यह था कीजब मित्तल पूरी पूरी राशी उस कम्पनी को खरीदने में अदा क्र रे है तथा नियमो तथा शर्तो का पालन करने का वचन दे रहे है | तभी मित्तल की आर्सलर को एक्वायर करने से रोकना कुछ नहीं केवल नस्लवाद है ! अन्तत: मित्तल का आर्सलर से समझौता 18 जून 2006 को हुआ.

आर्सलर कंपनी के समझोते के नियम?

1) ऑनरशिप 50% आर्सलर इन्वेस्टर्स, 45% मित्तल इन्वेस्टर्स
2) नई कंपनी का उत्पादन 110 मैट्रिक टन होगा जो उसके निकटम प्रतिद्वंदीसे 3 गुना अधिक होगा
3) इसके 27 देशो में 61 प्लांट्स होंगे
4) वन शेयर वन एग्रीमेंट
5) किंस 2007तक चेयरमैन होंगे ! फिर 2007 में लक्ष्मी मित्तल चेयरमैन होंगे
6) बोर्ड में 18 सदस्य होंगे 6 मित्तल स्टील के , 3 आर्सलर के तथा तीन एम्प्लायी प्रतिनिधि
7) मैनेजमेंट बोर्ड में 6 सदस्य होंगे

मित्तल द्वार अब तक कम्पनीयों का एक्विजिशन?

1) 1982 आरयन एंड स्टील कंपनी (ट्रिनीडाड एंड टोबागो)
2) 1992 सिब्ल्स स्टील, मैक्सिको (213 मिलियन डॉलर)
3) 1994 सिबके डैस्को, कनाडा (455 मिलियन डॉलर)
4) 1995 हम्बर्गर स्थाल वर्क, जर्मनी
5) 1995 करमेट, कजाकिस्तान(950 मिलियन डॉलर)
6) 1997 स्थाल वर्क रहुरोट एंड
7) 1998 इंग्लैंड स्टील कंपनी (यू. एस.) (1430 मिलयन डॉलर)
8) 1999 युनिमेटल, फ़्रांस (120 मिलयन डॉलर)
9) 2001 अल्फ़ा सिड अल्जीरिया, सिड़ेक्स रोमानिया
10) 2003 नोवा हट ,चेक गणराज्य (905 मिलियन डॉलर)
11) 2004 पोल्सकी हुटी,पोलैंड (1050 मिलियन डॉलर)
12) 2004 बाल्कन स्टील, बोस्निया
13) 2004 टेपरो लासी, रोमानिया
14) 2004 साइड रुजिका, रोमानिया (126 मिलियन डॉलर)
15) 2004 बी.एच. स्टील बोस्निया (280 मिलियन डॉलर)
16) 2004 इस्कोर स्टील , द.अफ्रीका (280 मिलियन डॉलर)
17) 2005 हुनान वेलिन, चीन (37.17%)
18) 2005 इंटरनेशनल स्टील, यू .एस (4.5बिलियन)

Full essay on "Indian Culture" in Hindi - भारतीय संस्कृति पर निबंध?

Now find out full essay on "Indian Culture" in hindi (इंडियन कल्चर एस्से), इस पेज में भारतीय संस्कृति पर पूरा निबंध दिया गया है? यहाँ पर स्कूल के विद्यार्थियों के लिये बेहद सरल शब्दों के साथ निबंध उपलब्ध करा रहें हैं तो चलिए शुरू करते हैं.


Indian culture essay in hindi - भारतीय संस्कृति पर निबंध?

भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीन संस्कृतियों में से एक है ! इसकी सबसे बड़ी विशेषता जीवन में योग व त्याग का समन्वय है ! विद्वानों ने संस्कृति की परिभाषा देते हुए कहा है की संस्कृति का अर्थ स्वभाव, चरित्र, विचार और कर्म की वे अच्छाईयां है जो शिष्ट लोगों के जीवन का अंग होती है तथा जिनकापालन परिवार, वर्ग, समाज तथा राष्ट्र की विशेषता बन जाता है ! संस्कृति में धर्म, समाज, निति, राजनीती, दर्शन, साहित्य, परम्परायें, मानवीय मूल्य तथा सोन्दर्य बोध आदि सभी समाहित होते हैं ! हमारे देश की जनसंख्या आज करीब एक अरब से भी अधिक हो गई है ! इतनी बड़ी जनसंख्या होने के बावजूद अनेकता पाया जाना कोई बड़ी बात नहीं है ! हमारे देश में करीब दो हजार से ज्यादा जातियां है ! इसी तरह भाषाओँ और बोलियों की संख्या भी पांच सौ से अधिक है?

Indian Culture सबको सुखी और प्रसन्न रखना चाहती है ! यह वसुधा को ही कटुम्ब मानने में विश्वास रखती है ! भारतीय संस्कृति का मुख्य उद्देश्य सार्व जन हिताय तथा सार्व जन सुखाय है ! भारतीय संस्कृति में कहा गया है की व्यक्ति जिस रूप में ईश्वर की अर्चना करता है ईश्वर भी उसी रूप में स्वीकार करता है ! केवल श्रद्दा सच्ची होनी चाहिए ! वैदिक काल से ही भारतीय संस्कृति में ईश्वर के विभिन्न रूपों को मानने की स्वतंत्रता थी जो की निरंतर जारी है ! यही कारण है की हमारी संस्कृति में ईश्वर को भिन्न-भिन्न नामों से पुकारा जाता है ! भारतीय संस्कृति की एक और विशेषता है की यह आनंद प्रधान है ! इससे हमें सिख मिलती है की सुख-दुःख, लाभ-हानि, विजय-पराजय, उत्थान-पतन, हर्ष-विषाद आदि में मानसिक संतुलन और संभव बनाये रखना चाहिए ! उक्त गुण हर भारतीय में देखने को मिलते है ! भारतीय संस्कृति अपनी इन्हीं विशेषताओं के कारण आज भी अपने को बचाये हुए है ! ऐसे गुण न होने के कारण ही यूनान, मिश्र तथा रोम आदि संस्कृतियों के बारे में पढने या सुनने को तो मिलता है लेकिन देखने में नहीं मिलता?भारतीय साहित्य, संगीत, मूर्तिकला, चित्रकला, वास्तुकला, नृत्यकला आदि को देखने से यह स्पष्ट हो जाता है की भारतीय संस्क्रती वाले भारतीयों का जीवन हमेशा आनन्दपूर्ण रहा है ! इस बात का संदर्भ उपनिषदों में भी देखने को मिलता है ! भारतीय संस्क्रती की तीसरी विशेषता है कर्मवाद ! इसके तहत यहाँ किसी को भी कर्म से मुक्ति नहीं है ! चारों वर्णों और आश्रमों के लोगों के लिए नियत कर्म आजीवन करने का आदेश है ! भारतीय संस्क्रती की चौथ विशेषता विचारों की स्वतंत्रता है ! यदि सरल और साफ़ शब्दों में कहा जाये तो इससे अभिप्राय अपना-अपना मत प्रकट करने की या विचार परिवर्तन करने की हमारे देश में हमेशा स्वतंत्रता रही है. शासन की और से किसी को कोई मत विशेष मानने के लिए बाध्य नहीं किया जाता ! किसी विशाल हर्दय स्वतंत्रता तथा उदारता के कारण हमारे देश में सार्व धर्म समभाव पाया जाता है ! मतों या विचारों को लेकर हमारे देश में कभी खून-खराबा नहीं हुआ ! इसको लेकर शास्त्रार्थम वेड और उपनिषदों की उदारता, दर्शनशास्त्र, जातक ग्रंथों, रामायण और महाभारत में भी दिखाई पड़ती है ! पश्चिमी देशों के विद्वानइसी कारण भारतीय संस्क्रती पर मुग्ध हो इसका गुणगान करने के लिए बाध्य हुए ! थोरों, वार्ड, सोपनहावर जैसे अंग्रेज़ी दार्शनिकों ने भी श्रद्धापूर्वक भारतीय संस्क्रती की सराहना की है ! भारतीय संस्क्रती की सबसे बड़ी विशेषता यह है की यह सबको अपनाने, सबको गले लगाने, सबके गुणों को ग्रहण करने और सबकी विशेषताओं को सराहने की शिक्षा देती है लेकिन अब भारतीय संस्क्रती पर पाश्चात्य संस्क्रती धीरे-धीरे हावी होती जा रही है ! त्याग, तपस्या, दया तथा संतोष का स्थान अब भोगवाद व भौतिकवाद लेता जा रहा है ! संस्क्रत व हिंदी भाषा छोड़ जनता अंग्रेज़ी के पीछे भाग रही है ! खान-पान, रहन-सहन, आचार-विचार समेत हर क्षेत्र में हम लोग पाश्चात्य संस्क्रती का अनुसरण करने लगे है ! इस प्रकार हम अपनी भारतीय संस्क्रती से मुहँ मोड़ने लगे है.

full essay on "my village" in hindi - हमारे गाँव पर निबंध?

Now find out a full essay on "my village" in hindi language या हमारे/मेरे गाँव पर निबंध लेख? इस पेज में आपको गाँव और किसान के बारे में सभी प्रकार की सामान्य जानकारी मिलेगी तो चलिए शुरू करते हैं.


A full essay on our village - हमारे गाँव?

हमारा देश भारत गांवों का देश है ! यहाँ की अधिकांश जनसंख्या गांवों में ही निवास करती है ! भारत की अर्थ् व्यवस्था के विकास में कुटीर उद्योग ,पशु धन ,वन मौसमी फल एवं सब्जियों इत्यादि इन सब के योगदान को अनदेखी नहीं की जा सकती! वर्तनाम में गाँव देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है ! हमारे देश की आत्मा गाँव ही है ! इन गांवों में ही मेहनत कश किसान व् मजदुर निवास करते है जो की देश वासियों के अन्दाता है ! किसानों के परिश्रम में जहाँ हमें खाद्य सामग्री मिलती है वहीं वे भारतीय अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है ! देश की खुशहाली किसानों के परिश्रम और त्याग पर निर्भर करती है ! वैसे भी देश का यदि वास्तविक रूप देखना तो गांवों में इसे देखा जा सकता है ! इन सबके अलावा गाँव हमारी सभ्यता के प्रतिक है ! स्वंत्रता प्राप्ति से पूर्व यदि गांवों की और धयान दिया जाता तो गांवों की स्थिति आज कुछ और ही होती ! यदि मानव जंगलो व् गुफ़ाओ में रहता था.जैसे जैसे आदि मानव नें अपने जीवन क्षेत्र में उन्नति की वैसे वैसे गांवों का स्वरूप सामने आने लगा ! यही से गांवों की सभ्यता का विकास हुआ ! अपनी सभ्यता का विस्तार करते हुए मानव नें नगर सभ्यता की नीव रखी ! शहरों की अपेक्षा आज भी गांवों का प्राकर्तिक सौन्दर्य अधिक है ! वहाँ प्रकर्ति अपने ही रूप में है ! उसमे किसी तरह की कृत्रिमता नहीं है ! गांवों की सुन्दरता और वहाँ का प्राकर्तिक वातावरण सहज ही किसी को अपनी और आकर्षित कर लेता है ! शहरों का जन्मदाता गाँव ही है ! यह सत्य है की मानव का आरम्भिक जीवनकाल जंगलो और पर्वतो में बीता ! इसके बाद वह समूह में रहने लगा और जहा वे लोग रहने लगे वही आस पास कृषि आदि करने लगे ! इस तरह गांवों का अस्तित्व शुरू हुआ ! गाँव में भी मनुष्य नें सभ्यता का पहला चरण रखा ! गाँव से सभ्यता संपन होने के बाद वह धीरे धीरे अपना रूप बदलते हुए नगर कहलाई ! वास्तव में गाँव मनुष्य द्वारा बसाये जाने के बाद फले फुले और बने ठने हुए है ! जब की नगर पूर्ण रूप से कृत्रिमता से सजाये जाते है !यही कारन है की गाँव किसी को भी आपनी और सहज आकर्षित कर लेते है !

भारतीय गाँव सदियों से शोषित और पीड़ित रहे है ! अशिक्षा अज्ञान आभाव जैसी समस्याओ से आज भी कई गांवों को दो चार होना पड रहा है ! सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों से हलाकि गांवों की स्थिती में कुछ सुधार हुआ है लेकिन अभी भी उनमे काफी सुधार की गुंजाईश है ! हाँ ये जरुर है की किसानओ को जमीदार का शोषण नहीं झेलना पड़ रहा है ! गांवों के उधार के लिए सरकार द्वारा जो योजनाऐ बनाई जा रही है उनका पूरा लाभ गांवों को नहीं मिल पा रहा है इसका आधे से ज्यादा हिस्सा भ्रष्ट राजनीतिज्ञ व् कर्मचारी हड़प लेते है.

किसान की दिनचर्या?

गांवों में विकास के बावजूद वह अपना रूप संजोय हुए है ! वहाँ परिवर्तन इतनी तेजी से नहीं हो पा रहा जितना की शहरों में हो रहा है ! हालाकि अब गाँव में शिक्षा के प्रसार के लिए स्कूल खोले जा रहे हैं ! किसानों की आर्थिक स्थिती सुदृढ़ करने के लिए सहकारी समितियां खोली जा रही हैं ! इन समितियों द्वारा जहाँ किसानों को लोन दिलाई जा रहे है वही उनके क्रषि उत्पाद खरीदकर उन्हें उचित लगत दिलाई जा रही है ! गाँव में मेहनतकश किसान सूरज निकलते ही अपने खेतों को और निकल पड़ता है ! मौसम के हिसाब से बोई गई फसल की निराई-गुडाई कर फिर दोपहर में घर लोटता है ! दोपहर का भोजन कर फिर वह खेतों की और निकल पड़ता है ! सूरज डुबते समय ही वह अपने घर की और रुख करता है ! घर लौटने पर एनी कार्य निपटाने के बाद वह गाँव में बनी चौपाल पर वर्तमान राजनीती या अन्य मुद्दों पर वहां उपस्थित अन्य किसानों से वार्ता करता है ! लगभग यही दिनचर्या गर्मित महिलाओं की भी है.

महात्मा गाँधी क्रत्रिमता की अपेक्षा मौलिकता के समर्थक थे ! इसलिए उनका कहना था की भारत की आत्मा गांवों में बसी हुई है ! इसलिए गाँधी जी ने गांवों की दशा सुधारने के लिए ग्रामीण योजनाओं को कार्यान्वित करने पर विशेष बल दिया था.

डॉ हरिवंशराय बच्चन –हिंदी कविता का एक और सूर्यास्त

डॉ हरिवंशराय बच्चन

परिचय :

प्रखर छायावादऔर आधुनिक प्रगति के स्तम्भ माने जाने डॉ. हरिवंशराय बच्चन का जन्म 27 नवंबर 1907 को प्रयाग के पास स्थित आमोढ गाँव में हुआ था | उन्होंने प्राम्भिक शिक्षा कायस्थ पाठशाला ,सरकारी पाठशाला से प्राप्त की | इसके बाद की पढाई उन्होंने इलाहबाद के राजकीय कॉलेज और विश्व विख्यात काशी हिन्दू विश्वविधालय से की | पढाई ख़तम करने के बाद वे शिक्षक पेशे से जुड़ गए और 1941 से 1952 तक इलाहबाद में अंग्रेजी के प्रवक्ता रहे.



इसके बाद वे पी.एच.डी. करने इंग्लैंड चले गए जहा 1952 से 1954 तक उन्होंने अध्ययन किया | हिंदी के इस विद्वान ने कैम्ब्रिज विश्वविधालय से पी.एच.डी. की डिग्री डब्लू. बी. येट्स के कार्यो पर शोध क्र प्राप्त की | यह उपाधि प्राप्त करने वाले वे पहले भारतीय बने.

विदेश से शिक्षा ग्रहण के बाद प्रोफेसर से राज्यसभा के मनोनीत सदस्य बनने का सफ़र

वे आजीवन हिंदी साहित्य को समृद्ध करने लगे रहे | कैम्ब्रिज से लौटने के बाद उन्होंने एक वर्ष तक पूर्व पद पर कार्य किया | इसके बाद उन्होंने आकाशवाणी के इलाहबाद में भी कार्य किया था | वे 16 वर्ष तक दिल्ली में रहे और उसके बाद विदेश मंत्रालय में दस वर्षो तक हिंदी विशेषज्ञ जैसे महत्वपूर्ण पद पर रहे | इन्हें राज्य सभा में छ: वर्षो तक के लिए विशेष सदस्य के रूप में मनोनीत किया गया और 1972 से 1982 तक वह अपने पुत्र अमिताभ के साथ कभी दिल्ली कभी मुंबई में रहे | बाद में उन्होंने ने दिल्ली में ही रहने का फैसला किया.

डॉ. हरिवंशराय की काव्य विशेषता:

डॉ. हरिवंशराय बच्चन द्वारा लिखी गई ‘मधुशाला’ हिंदी काव्य की कालजयी रचना मणि जाति है इसमें उन्होंने शराब व मयखाना के माध्यम से प्रेम सौन्दर्य, पीड़ा, दुःख, मृत्यु और जीवन के सभी पहलूओं को अपने शब्दों में जिस तरह से पेश किया ऐसे शब्दोंका मिश्रण और कही देखने को नहीं मिलता है | आम लोगो के समझ में आ जाने वाली इस रचना को आज भी गुनगुनाया जाता है | डॉ. बच्चन जब इसे खुद इसे गाकर सुनाते थे तो वे क्षण बहुत अद्भुत लगते थे | इन्होने कई फिल्मो के लिए गाने भी लिखे जैसे सिलसिला और अग्निपथ.

डॉ. बच्चन का काव्य सफ़र :

डॉ. बच्चन को उनकी रचनाओ के लिए विभिन्न पुरस्कारों से नवाजा जाता रहा | सन॒ 1968 में डॉ. बच्चन को हिंदी कविता का साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ | यह पुरस्कार उन्हें उनकी कृति ‘दो चट्टाने’ के लिए दिया गया | बिडला फाउंडेशन द्वारा उन्हें उनकी आत्मकथा के लिए सरस्वती सम्मान से नवाजा गया है | इस सम्मान के तहत उन्हें तीन लाख रूपए प्राप्त हुए और 1968 में ही उन्हें सोवियत लैंड नेहरु और एफ्रोएशियाई सम्मेलन के कमल पुरस्कार से सम्मानित किया गया | साहित्य सम्मेलन द्वारा उन्हें साहित्य वाचस्पति पुरस्कार दिया गया | बाद में इन्हें भारत सरकार द्वारा इन्हें पद्मभूषण के अवार्ड के द्वारा सम्मानित किया गया |उनकी कविताओं में आरम्भिक छायावाद, रहस्यवाद ,प्रयोगवाद और प्रगतिवाद का एक साथ समावेश देखने को मिलता है | डॉ. बच्चन पूर्व प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरु के परिवार से काफी नजदीक से जुड़े थे |

Meera bai in hindi - प्रिय कवियत्री - मीरा बाई?

आइये इस लेख प्रिय कवियत्री - मीराबाई की कृष्ण भक्ति और उनके जीवन के बारे में कुछ सामान्य बातें जानते हैं जो की एक pure devotee थी?


who is meera bai - मीरा बाई कौन थी?

मीरा बाई भगवान् श्री कृष्ण की अनन्य प्रेम मय भक्त थी. कृष्ण भक्त मीरा बाई का जन्म 1503 ई. मे राजस्थान के मारवाड़ जिला के अंतर्गत कुडको गावं में हुआ. मीरा बाई मेड़ता राज्य के संस्थापक राव दूदाजी की पोत्री थी. 1516 मे मीरा का विवाह चित्तोड़ के महाराजा के बड़े पुत्र भोजराज के साथ हुआ. बाल्यकाल में ही मीराबाई की माँ इन्हें छोड़ के परलोक सिधार गई थी. इसके बाद उनका पालन पोषण उनके राव दूदाजी ने ही किया. वे वैष्णव भक्त थे. इस कारण मीरा बाई को भक्ति के संस्कार मिले. मीरा बाई बचपन से भगवान विष्णु की उपासक बन गई थी. विवाह के कुछ वर्षो के बाद ही मीराबाई के पति भोजराज की मृत्यु हो गई. इसके बाद मीराबाई ने पारलौकिक प्रेम को अपनाते हुए कृष्ण भक्ति की राह पकड ली. वह सत्संग साधू-संत-दर्शन और कृष्ण कीर्तन के अध्यात्मिक प्रवाह में बहती हुई संसार को निस्सार समझने लगी. उनके परिजनों ने उन्हें ग्रहस्थ जीवन में लाने का काफी प्रयास किया लेकिन उनके यह प्रयास निरर्थक साबित हुआ.

मीरा बाई के प्रति सामाजिक व्यवहार?

बताया जाता है कि बचपन में ही एक बार मीराबाई खेल ही खेल में भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति को ह्रदय से लगा अपना दूल्हा मान लिया था. तभी से वह कृष्ण को अपना पति मानते हुए उनको खुश करने के लिए मधुर गीत गति रहती थी. कम आयु में विधवा होने और चित्तोड़ के राजवंश से जुड़े होने के कारण भक्ति जीवन में प्रवेश करते समय उन्हें समाज तथा वातावरण का कदा विरोध सहना पड़ा.

मीरा बाई ने अपनी काव्य रचना में लौकिक प्र्तिक्को के रुपको को शामिल किया लेकिन उनका उद्देश परलौकिकचिन्तन धारा के अनुकूल है. यही कारण है की वह दोनों ही दृष्टि से अपनाने योग्य के साथ साथ रुचिपूर्ण और ह्र्दयस्पर्शी भी है. मीराबाई के भावपक्ष में यह भी भाव विशेषका दर्शन या अनुभव हमें प्राप्त होता है की वे श्री कृष्ण के वियोग में बहुत ही विरहकुल अवस्था को प्राप्त हो चुकी थी.

मीरा बाई के श्री कृष्ण के दर्शन की तीव्र कामना और उमंग का अंदाजा उनके निम्न उदाहरण से लगाया जा सकता है :

श्याम मिल्न रे काग सखी, उर आरत जगी!
तलफ तलफ कलना पड़ा, विरहानल लगी!
निसि दिन पन्त निहारा पिबरो,पालकांना पल भर लगी!
पिव-पिव महा रताः रेनू दिन लोक, लाज कुल त्यागी!
विरह भागम डस्या कुलेजा लहर हलः जागी
मीरा व्याकुल अति ,अकुलानी श्याम उम्न्गा!!
अपनी भाषा शैली में मीरा बाई ने कहावतो और मुहबरो लोकप्रिय स्वरूपों को भि अथां दिया है ! इसके आलावा स्वरूपो को भि स्थान दिया. इसके आलावा अहंकार और रसो का समुचित प्रयोग किया.

Pratibha devi singh patil essay in hindi - प्रतिभा पाटिल "प्रथम महिला राष्ट्रपति"

इस पोस्ट में Pratibha devi singh patil essay, biography, jivani in hindi या प्रतिभा पाटिल जी : भारत की प्रथम महिला राष्ट्रपति पर निबंध उपलब्ध करवाया गया है तो चलिए शुरू करते हैं और जानकारी प्राप्त करते हैं.


Essay on "Pratibha devi singh patil" in hindi?

श्रीमती प्रतिभा सिंग पाटिल जी को हाल ही में भारत का नया राष्ट्रपति निर्वाचित किया गया था. उन्होंने डॉ. अब्दुल पाकिर जैनुल आबिदीन अब्दुल कलाम का स्थान ग्रहण किया था. वे भारत की राष्ट्रति निर्वाचित होने से पहले रास्थान राज्य की राज्यपाल थी. वह पहली महिला तथा महाराष्ट्र से चुने जाने वाई पहली नागरिक है जो राष्ट्रपति पद के निर्वाचित हुई है. वह एक सफल वकील रही है. उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में विभिन पदों पर रह कर अपनी सकिय भूमिका अदा की है. श्रीमती पाटिल को 25 जुलाई सन् 2007 को भारत के प्रशन न्यायधीश श्री के.जी. बालकृष्णन ने राष्ट्रपति का पद की शपथ दिलाई.

प्रतिभा पाटिल जी का जन्म सारांश?

प्रतिभा पाटिल का जन्म 19 दिसम्बर सन् 1934 को महाराष्ट्र राज्य में जलगाँव नामक स्थान पर एक मराठा परिवार में हुआ था. उनकी प्राम्भिक शिक्षा जलगांव के आर. आर. स्कूल मे शुरू हुई थी और उतरी महाराष्ट्र विश्वविद्यालय जलगांवसे सम्बद्ध मूलजी जैथा (एम. जे. ) कॉलेज से उन्होंने (एम. ए) की डिग्री प्राप्त की तथा मुंबई विश्वविधालय से सम्बद्ध गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, मुंबई से कानून की डिग्री हासिल की. श्रीमती प्रतिभा पाटिल को सन् 1962 में एम.जे. कॉलेज में “कॉलेज क्वीन” की पदवी से अलंकृत किया गया. इसी प्रकार बहुमुखी प्रतिभा पाटिल संपन्न श्रीमती पाटिल एक सफल अधिवक्ता बनने में सफल रही है.

Political career - प्रतिभा पाटिल जी राजनैतिक सफर?

प्रतिभा पाटिल ने अपना राजनैतिक सफर सन् 1962 में शुरू कर दिया था. सन् 1962 में श्रीमती पाटिल ने महाराष्ट्र विधान सभा सदस्य के रूप में जलगाँव जिले के एडलाबाद विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया ! सन् 1985 में इन्हें राज्यसभा क्षेत्र का सदस्य चुना गया और सन् 1986 में तत्कालीन प्रधानमंत्री तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राजीव गाँधी के प्रयसो से इन्हें राज्यसभा का उपसभापति निर्वाचित किया गया ! इस पद पर वह सन् 1988 तक रही ! अपनी पार्टी के प्रति वफ़ादारी देख कर इन्हें 8 नवम्बर 2004 में राजस्थान का राज्यपाल नियुक्त किया गया.

श्रीमती पाटिल का विवाह 7 जुलाई सन् 1965 में एक शिक्षाविद् श्री देवीसिंह रनसिंह शेखावत के साथ सम्पन्न हुआ ! इन्होने राजनीति में अपनी पहचान स्वयं बनाई ! अपने पति के नाम का तनिक भी सहारा नहीं लिया ! इन्होने “विध्या भारतीय शिक्षण प्रसारक मंडल” नामक एक शिक्षण संस्था की स्थापना की जिसके अंतर्गत जलगांव और मुंबई के असंख्य विधालय और कॉलेज आते है ! अपने राजनीति सफर के दौरान श्रीमती पाटिल जी ने 1967 में वस्न्थ्रव नामक मंत्रीमंडल में शिक्षा उप-मत्री बनी तथा बाद में प्रांत के विभिन्न मुख्यमंत्रियों के केबिनेट मंत्री के पदों पर सुशोभित किया ! इसके बाद की राज्य सरकारों में विभिन्न मुख्यमंत्रियों के अधीन रहकर इन्होने पर्यटन, समाज कल्याण तथा आवास मंत्री पद का कुशलता पूर्वक दायित्व निभाया ! इन्हें किसी चुनाव में असफलता का सामना नहीं करना पड़ा.

राष्ट्रपति चुनाव के दौरान श्रीमती पाटिल को सत्तारूढ़ सयुक्त प्रगतिशील गठबंधन ने अपना प्रत्याशी घोषित किया और 19 जुलाई 2007 को इन्होने अपने निकटतम विरोधी निर्दलीय प्रत्याशी श्री भैरोसिंह शेखावत को तीन लाख से ज्यादा मतों से हराया और भारत की प्रथम महिला राष्ट्रपति बनकरएक नविन इतिहास रच दिया.

प्रतिभा पाटिल परिवार द्वारा नियंत्रित एक बैंक में वितीय अनियमितताओं के कारण भी इन पर दोषारोपण किया गया और “पर्दा” पर दिया गया इनका भाषण भि विवादों के केंद्र में आ गया ! लेकिन इन सभी विषम परिस्थितियों का प्रतिभा पाटिल ने बहादुरी और धैर्यससे सामना किया और वे देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसानी होने से सफल रही.

Mahatma Gandhi Biography In Hindi - युग पुरुष महात्मा गाँधी जी पर निबंध?

हेल्लो दोस्त, इस पोस्ट में आपको, Mahatma Gandhi जी की Biography, Jivani, Essay (hindi) या युग पुरुष महात्मा गाँधी जी के जीवन पर निबंध उपलब्ध करवाया गया है तो चलिए उनके बारे जीवन के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं.


who is mahatma gandhi - महात्मा गाँधी कौन थे?

काठियावाड की रियासत पोरबंदर के दीवान करम चंद गाँधी को 2 अक्टूबर1869 के दिन पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई ! पारिवारिक प्यार से मोनिया के नाम से बुलाये जाने वाले मोहनदास आने वाले कल के विश्वविख्यात सत्य-अहिंसा-शांति के अग्रदूत होगे उस समय कौन जनता था ! बचपन में ही भगवद्गीता व धार्मिक वातावरण के साथ “श्रवण कुमार की पितृभक्ति” और सत्यवादी हरिश्चंद्र नामक पुस्तको का उनके मन पर गहरा प्रभाव पड़ा था ! हालांकि बचपन की नासमझी में उन्होंने चोरी,झूट,धुम्रपान,धोखा,अविश्वास जैसे निंदनीय कार्य करने वाले बालक गाँधी एक बदनाम मित्र के बहकावे में आकर कोठे की सीढ़िया तक चढ़ गए थे ! इस घटना को देख के यह स्पष्ट होता है की एक सामान्य व्यक्ति को असामान्य बनने में कैसेकठिन संघर्ष से गुजरना पड़ा होगा.

education of mahatma gandhi - मोहनदास की शैक्षिण सफर?

मोहनदास बचपन से ही कुसाल बुद्धि के बच्चे रहे थे ! गाँधी की आन्तरिक इच्छा डॉक्टर बनने की थी किन्तु पैतृक पेशा दीवानगिरी के लिए उन्हें बेरिस्टर बनने के लिए प्रेरित किया गया ! अपने शैक्षिण व्यवस्था के दौरान इंगलैंड में प्रवास पर गए ! वह उन्होंने शिक्षा के दौरान शिक्षा ग्रहण करते हुए मांस-मदिरा तथा सुन्दरियों के मोहपाश से विलग रहे ! बैरिस्टर बनने के बाद गाँधी परिवर्तन हुआ था?

इंग्लैंड से वापस लौटते समय तक गाँधीजी भाषण देना नै जानते थे ,पर विदाई बेला में कुछ बोलना था ही गाँधी के दिमाग में एडिसनकी घटना आई ! एडिसन को “हाउस ऑफ़ कॉमन्स” में बोलना था ! वे खड़े होकर ‘ आई कंसीव, आई कंसीव, आई कंसीव’ तिन बार बोल के बैठ गए ! अंग्रेजी में कंसीव का अर्थ” मेरी धारणा है “ के अतिरिक्त “ गर्भ ठहरना” भी होता है ! बस फिर क्या था एक सिरफिरे ने एडिसन की इस दशा पर छींटा-कशी कर ही दी –‘इस सज्जन ने तीन बार गर्भ धारण किया मगर जना कुछ भी नहीं’ हाउस में जोरदार ठहाके लगे ! गाँधी ने इसी घटना का उल्लेख क्र भाषण शुरू करके अपनी कमजोरी छिपाने का मन तो बना लिया पर खड़े होकर बोलने का साहस नहीं जुटा पाए ! ‘धन्यवाद’ कहकर बैठ गए , लेकिन आगे चलकर गाँधी मानव उत्थान के लिए शांति का सन्देश देने में कितने निपुण सिद्ध हुए.

मोहनदास से महात्मा गांधी का सफ़र?

इतिहास साक्षी है कि शांति और अहिंसात्मक तरीको को अपना हक़ और न्याय प्राप्त करने करने का सबल अस्त्र मानने वाले गाँधी ने इस अमोध अस्त्रों से उस ब्रिटिश साम्राज्यवादी शक्ति को पस्त कर दिया , जिसके साम्राज्य में सूर्य नहीं डूबता था.

महात्मा गाँधी के दक्षिण अफ्रीका प्रवास पर यदि हम एक विहंगम द्र्ष्टी डाले तो एक साधारण से व्यक्ति के रूप में पहुचे गाँधी ने 22वर्ष की लम्बी लड़ाई में अपना ,भूख मानसिक संताप व शारीरिक यातनाएझेलते हुए न केवल राजनितिक,बल्कि नैतिकक्षेत्रों में जो उपलब्धियां प्राप्त की, उसकी मिसाल अन्यत्र मिलना असम्भव है.

गाँधी जी की आजीवन यही मान्यता रही की अपनी तपस्या के बल से ही दुसरे का ह्रदय परिवर्तन किया जा सकता है ! गाँधी की स्पष्ट निति थी की वे दुसरे को पराजित करके स्वयं विजयी नहीं बनते है ,बल्कि उनको प्रभावित करके उनको अपना बना लेते थे.

सन् 1919 से लेकर 1948 में अपनी मृत्यु तक भारत की स्वाधीनता आन्दोलन के महान ऐतिहासिक नाटक में गाँधी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है ! उनका जीवन उनके शब्दो से भी बड़ा था चूँकिउनका आचरण विचारो से महान था और उनकी जीवन प्रकिया तर्क से अधिक सृजनात्मक थी.

गाँधी जी की भक्त अंग्रेज महिला मेडेलिन स्लेड जो मीरा बहन के नाम से विख्यात हुई ,लिखती है ,”मैंने जैसे ही साबरमती आश्रममें प्रवेश किया टो एक गेहूवर्णीय प्रकाश पुंज मेरे समक्ष उभरा और मेरे मस्तिक पर छा गया “? गाँधी जी के प्रति लोगो में ऐसी ही पावन आस्था थी ! डांडी यात्रा में लगातार 24 दिनों तक पैदल चल कर समुन्द्र के पानी को सुखाकर बनाया हुआ थोडा सा नमक उठा लेने की बात , वायसराय को नाटकीय और मूर्खतापूर्ण लगी होगी ! नमक कानून के उल्लंघन की यह प्रतीकात्मक घटना जनस्फुर्ती के लिए रामबाण सिद्ध हुई ! 29 जनवरी को गाँधी ने अपनी भतीजी पुत्री मनु से कहा था ,”यदि किसी ने मुझ पर गोली चला दी और मैंने उसे अपनी छाती पर झेलते हुए होठो से राम का नाम ले लिया तो मुझे सच्चा महात्मा कहना? ” और यह कैसा सयोंग था कि 30 जनवरी को उस महात्मा को मनवांछित मृत्यु प्राप्त हो गई? संवेदित स्वरों में लार्ड माउन्टबैटन ने ठीक ही कहा था, “ सारा संसार उनके जीवित रहने से संपन्न था और उनके निधन से वह दरिद्र हो गया है”.

Kalpana chawla essay in hindi - कल्पना चावला पर निबंध?

इस पोस्ट में हम आपको पहली भारतीय महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला परहिंदी भाषा में निबंध (essay on kalpana chawla in hindi) और उनकी जीवनी उपलब्ध करवारहें हैतो चलिए शुरू करते है ! यदिइस वेबसाइट से संबधित आपका कोई भी सवाल या सुझाव है तो निचे दिए गए कमेंट बॉक्स के माध्यम से हमें जरुर लिख भेजें हम जल्दी ही आपसे सम्पर्क करने का प्रयास करेंगे.


Who is kalpana chawla - कल्पना चावला कौन है?

मैं किसी एक क्षेत्र या देश से बाधित नहीं हूँ ! में इन सबसे हटकर मानव जाती का गौरव बनाना चाहती हूँ ! यह कहना था पहली भारतीय मूल की महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला का जो आज हमारे बीच नहीं है ! उनकी प्रतिभा, लगन और उनका समस्त विश्व को दिया योगदान सदा अविस्मरणीय रहेगा ! कल्पना को बचपन से ही पढने तथा हवाई करतब में काफी रूचि थी! उल्लेखनीय है की कल्पना के पास विमान एवंग्लाईडर के प्रमाणित उडान निदेशक का लाइसेंस था! कल्पना विभिन्न किसमे के विमानों की कमर्शियल पायलट थी.

Education of kalpana chawla – कल्पना चावला की शिक्षा?

भारतीय मूल की पहली महिला अन्तरिक्ष यात्री होने का गौरव हासिल करने वाली कल्पना चावला का जन्म हरियाणा के करनाल जिले में 8 जुलाई 1961 को एक व्यापारी परिवार में हुआ था ! कल्पना ने स्कूल शिक्षा करनाल के टैगोर स्कूल से प्राप्त की थी ! पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद कल्पना चावला ने 1984 में टेक्सास से इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री प्राप्त की इसके बाद उन्होंने कोलोराड से पी.एच.डी की उपाधि प्राप्त की ! कप्लना1988 में नासा में शामिल हुई! यहाँ रहकर उन्होंने कई शोध किये.

कल्पना चावला ने इसके बाद अमेरिका के एम्स में फ्यूड डायनामिक पर काम शुरू किया ! एम्स के सफलता पूर्वक काम करने के बाद कल्पना चावला ने 1993 में केलिफोर्निया की ओवरसेट मेथड्स इन कारपोरेशन में उपाध्यक्ष और रिसर्च वैज्ञानिक के रूप में काम शुरू किया ! यहाँ रहते हुए इन्होने भविष्य के अंतरिक्ष मिशन के लिए कई अनुसन्धान किये ! 1994 में नासा ने ने सुश्री कल्पना चावला का अंतरिक्ष यात्री के रूप में चयन किया! इस प्रकार कल्पना चावला मार्च 1995 में पंद्रहवें अंतरिक्ष समूह से जुड़ गयी ! एक वर्ष के प्रशिक्षण और मूल्यांकन के बाद शुश्री कल्पना को रोबोटिक्स अंतरिक्ष में विचरण से जुड़े तकीनीकी विषयों पर काम करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सोपिं गयी ! एक वर्ष के प्रशिक्षण के बाद कल्पना को एस्ट्रानॉट ऑफिस/रोबोटिक्स एवं कंप्यूटर ब्रांच के लिए तकीनीकी मुद्दों का दायित्व सोंपा गया! 1996 तक वे एस.ती.एस87 पर प्राइम रोबोटिक आर्म ऑपरेटर रही ! एस.टी.एस 87 अमेरिका की मिक्रोग्रेविटी पेलोड पाईलट थी! इसका उद्देश्य भारहीनता का अध्ययन करना था.

सुश्री कल्पना चावला के काम करने के तौर तरीकों व दिए गए कार्यों के परिणामों को देखकर उन्हें मिशन विशेषज्ञ का दायित्व सोपां गया! इसके अलावा उन्हें प्रमुख रोबोटिक्स आर्म ऑपरेटर भी बनाया गया.

पांच साल के अन्तराल के बाद कल्पना चावला दूसरी बार अंतरिक्ष मिशन पर गयी ! 16 जनवरी को अंतरिक्ष मिशन पर गए कोलंबिया यान ने अंतरिक्ष में80 शोध पुरे कर लिए थे ! उक्त शोध मानव अंगों, शरीर में कैंसरकोशिकाओं के विकास तथा गुरुत्वाकर्षण विहीन अवस्था में विभिन्न किट-कीटाणुओं की स्थिति के अध्ययन हेतु किये गए थे ! सोलह दिनों की इस यात्रा मेंकोलंबिया यान हर90 मिनट के प्रमुह रिक हस्बैंड, पायलेट विली मैकुल, अभियान विशेषज्ञ डेव ब्राउन, एक अन्य महिला अंतरिक्ष यात्री लौरल क्लार्क, पेलोड कमांडर माइक एंडरसन और पेलोडविशेषज्ञ इलान प्रथ्वी से 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर उड़ रहे इस यान की गति 17 हजार 500 मिल प्रति घंटा थी.

कल्पना चावला की मृत्यु का वो अंतिम क्षण?

सोलह दिन के अंतरिक्ष अभियान से लौट रहा अमेरिका यान कोलंबिया 2 फरवरी की शाम धरती से 63 किलोमीटर की ऊंचाई पर धमाके के साथ टूटकर बिखर गया ! यान में सवार सभी अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गयी ! उस समय यान की गति 20 हजार किलोमीटर प्रति घंटा थी! यान का मलबा अमेरिका के टेक्सास शहर में गिरा.

Swami vivekananda essay in hindi - स्वामी विवेकानंद पर निबंध?

इस पोस्ट में हम आपको स्वामी विवेकानंद पर निबंध (A full essay on swami vivekanand in hindi) या उनकी जीवनी उपलब्ध करवा रहे है ! उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी यदि इस वेबसाइट से संबधित कोई भी सवाल या सुझाव हमें भेजना है तो पेज के अंत में दिए गए कमेंट बॉक्स के माध्यम से हमें जरुर लिख भेजें. चलिए अब आज का विषय शुरू करते है.


Swami vivekananda essay – स्वामी विवेकानंद निबंध?

जिस समय हमारा देश गुलामी की जंजीरों से जकड़ा हुआ बड़ी ही विवशता में अपना धर्म, भाषा, शिक्षा, सभ्यता तथा आध्यात्मिक बल खोता जा रहा था ठीक उसी समय भारत की भूमि पर एक ऐसे सितारे का उदय हुआ जिसने भारत की भूमि को धरातल से उठाकर आसमान की बुलंदियों पर रख कर दिया ! देश को विश्व मेंसम्मानपूर्ण स्थान दिलाने वाले महापुरुषों में स्वामी विवेकानंद का नाम भी शामिल है! भारतीय सभ्यता व संस्क्रति के महान प्रहरी और सभी धर्मो का सम्मान करने के साथ-साथ वेदांत के प्रवर्तक स्वामी विवेकानंद हर हाल में महान है! 1893 में अमेरिका में आयोजित विश्व धर्म सम्मेलनमें हिन्दू धर्म का प्रतिनिधित्व करते हुए स्वामी विवेकानंद ने शून्य पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत कर विश्व में यह सिद्ध कर दिया था की विश्व का कोई भी महान कार्य भारतीय कर सकते है और बोद्धिक, धार्मिक, चारित्रिक तथा दार्शनिक क्षेत्र में भारत जितना उन्नत है उतनाविश्व में और कोई देश नहीं है स्वामी विवेकानंद के बारे में ह्वार्ड विश्वविद्यालय के विख्यात प्रोफेसर जे.एच. राईट ने लिखा है “To ask you swami, for your credential is like asking the sun to state its right to shine”?

स्वामी विवेकानंद जी का जन्म दिनांक और स्थान?

स्वामी विवेकानंद जी का बाल्यावस्था का नाम नरेन्द्रदत्त था बाद में ये स्वामी विवेकानंद के नाम से विख्यात हुए इनका जन्म12 जनवरी 1863 को कलकत्ता में हुआ ! इनके पिता का नाम विश्वनाथ दत्त तथा माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था! विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट में वकील थे ! पांच वर्ष की आयु में शिक्षा के लिए नरेन्द्र दत्त को विधालय भेजा गया! 1879 में मेट्रिक की परीक्षा पास कर कलकत्ता के जनरल असेंबली कॉलेज से बी.ए की परीक्षा पास की?

स्वामी विवेकानंद जी की आध्यात्मिक शिक्षा?

नरेन्द्र दत्त पर अपने पिता के पश्चिम व संस्कृति प्रधान का तो प्रभाव नहीं पड़ा लेकिन माता जी के धार्मिक आचार-विचार का गहरा प्रभाव अवश्य पड़ा इस करना नरेंद्र दत्त जीवन के आरंभिक दिनों से ही धार्मिक परवर्ती के हो गए थे ! धर्म की जिज्ञासा और अशान्त मन की शांति के लिए नरेंद्र दत्त ने संत रामकृष्ण परमहंस जी की शरण लि स्वामी परमहंस ने स्वामी जी की योग्यता को कुछ ही समय में परख लिया ! परमहंस जी ने नरेंद्र दत्त की योग्यता व गुणों को देख कर कहा की तू कोई साधारण मनुष्य नहीं है ! ईश्वर ने तुझे समस्त मानव जाती के कल्याण के लिए इस भूमि पर भेजा है! नरेंद्र दत्त ने स्वामी रामकृष्ण की इस बात को सुनकर अपनी भक्ति और श्रदा देश की प्रति अर्पित करना ही अपना कर्तव्य समझा और वे परमहंस जी के परम शिष्य और अनुयायी बन गए.

नरेंद्र दत्त से स्वामी विवेकानंद कैसे बने?

पिता की मृत्यु के बाद घर का भर संभालने के बजाय नरेंद्र दत्त ने सन्यास लेने का विचार किया ! स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने नरेंद्र दत्त को सन्यास नहीं लेने की बात कहते हुए कहा की तू स्वार्थी मनुष्यों की तरह केवल अपनी मुक्ति की इच्छा कर रहा है ! संसार में लाखों लोग दुखी है उनका दुःख दूर करने तू नहीं जायेगा तो कौन जायेगा ! फिर इसके बाद तो नरेंद्र दत्त ने स्वामी जी से शिक्षित-दीक्षित होकर यह उपदेश प्राप्त किया की सन्यास का वास्तविक उद्देश्य मुक्त होकर लोक सेवा करना है ! अपने ही मोक्ष की चिंता करने वाला सन्यासी स्वार्थी होता है ! इस पर नरेंद्र दत्त ने अपना यह विचार त्याग दिया और नौकरी की तलाश में जुट गए ! उन्हें नौकरी नहीं मिली जिस कारण उन्हें काफी दुःख हुआ.

सन 1881 में नरेंद्र दत्त ने सन्यास ले लिया और वे विवेकानंद बन गये ! 31 मई 1886 को स्वामी रामकृष्ण परमहंस की मृत्यु हो गयी उनकी मृत्यु के बाद स्वामी विवेकानंद कलकत्ता छोड़कर उत्तर में स्थित वराद नागर के आश्रम में रहने लगे यहाँ उन्होंने दर्शन एवं अन्य शास्त्रों का विधिवत गंभीर अध्ययन किया! दो वर्ष तपस्या और अध्ययन के उपरान्त विवेकानंद भारत यात्रा पर निकाल पड़े.

स्वामी विवेकानंद जी की विदेश यात्रा?

अपने संबोधन से उन्होंने सम्मेलन में भाग ले रहे लोगों में अपनी एक अलग पहचान बनाई और यह जाता दिया की कम आयु के होने के बावजूद वे काफी ज्ञान रखते है ! इस सम्मेलन से प्रेरित हो स्वामी जी ने अन्य यूरोपीयन देशों की भी यात्रा की इस यात्रा के दौरान उन्होंने अपना ज्यादातर समय अमेरिका और इंगलैंड में बिताया ! वहां रहकर उन्होंने भाषण, वाद-विवादों, लेखों तथा वक्तव्यों द्वारा हिन्दू धर्म का प्रचार किया चार वर्ष तक विदेशों में हिन्दू धर्म का प्रचार कर स्वामी जी स्वदेश लौटे.

यहाँ आकर उन्होंने कलकत्ता में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की इसके बाद भी कई बार स्वामी विवेकानंद हिन्दू धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए विदेश गये ! उनकी ख्यातिभारत में नहीं अपितु वेदेशों में भी थी ! यही कारण है की उन्हें कई विदेशी धर्म संगठनों ने व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया ! स्वामी विवेकानंद के कारण ही इंग्लैंड, फ़्रांस, जापान सहित कई देशों में वेदांत प्रचारार्थ संसथान काम कर रहे हैं ! बीमारी के कारण04 जुलाई 1902 की रात वह हमेशा के चिर-निद्रा में सो गए.

दार्शनिक इतिहास के महावटवृक्ष में ऐसी डाल सदियों के बाद फूटती है जो समाज में विकास की दिशा को गति प्रदान करती है ! मनुष्य जब अपने मानवता के मूल्यों को भूलकर राक्षसी व्रती का मार्ग प्रशस्त करताहै तब ऐसे युग अवतारी पुरुष का अवतार होता है और ये युग अवतारी पुरुष समाज को अपनी वाणी सुनाने के लिए बाध्य करते है और बाध्य होकर व्यक्ति उनकी वाणी सुनता हुआ अपनी पूर्व की स्थिति में आने का प्रत्यन करता है ! विश्व का इतिहास इसका साक्षी है! रामकृष्ण, बुद्धि, महावीर, गुरुनानक, ईसा मसीह तथा पैगम्बर आदि इसके ज्वलंत उदाहरण है.

subhash chandra bose in hindi - सुभाषचन्द्र बोस पर निबंध?

पेज में हम आपको नेताजी सुभाषचन्द्र बोस पर निबंध (Essay on neta ji shubhash chndr bosh) या उनकी जीवनी उपलब्ध करवा रहे है उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी ! यदि आपको इस वेबसाइट से संबधित कोई भी जानकारी या सुझाव हमें भेजना है तो पेज के अंत में दिए गए कमेंट बॉक्स के माध्यम से जरुर लिख भेजें.



नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के जीवन पर निबंध?

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानियों में से एक नेताजी सुभाषचन्द्र बोस भीथे इनका जन्म 23 जनवरी 1887 को उड़ीसा राज्य की राजधानी कटक में हुआ था ! आपके पिता जानकीनाथ बोस कटक के सुप्रसिद्ध वकील the ! सुभाषचन्द्र बोस की आरंभिक शिक्षा एक विदेशी स्कूल में हुई ! मेट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ने कलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में दाखिला लिया यहाँकॉलेजमें एक अँग्रेज अध्यापक भारतीय छात्रों का अपमान करता रहता था ! सुभाषचन्द्र बोस को इसकी यह आदत अच्छी नहीं लगती थी एक मौका पाकर उन्होंने उस अध्यापक की पिटाई कर दी इस कारण उन्हें कॉलेज से निकाल दिया गया ! इसके बाद आपने एक अन्य विश्वविद्यालय सेस्नातक की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की इसके कुछ दीनो तक आपने नौकरी की क्योंकि घर की आर्थिक दशा ठीक नहीं थी ! कुछ पैसे जोड़ने के बाद आप इंग्लैंड चले गए जहाँ से दो वर्षो बाद आप बेरिस्टर बनकर लौटे ! भारत लौटकर आपने देशबंधु चितरंजन दास को अपना राजनितिक गुरु मानकर स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े.

नेता जी का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान?

आपने आराम परस्त जिन्दगी के बजाए अपने देश की दशा को सुधारना बेहतर समझा और1921 में भारतीय प्रशासनिक सेवा की नौकरी छोड़ राष्ट सेवा से जुड़ गये ! असहयोग आन्दोलन में शामिल एवं हुए इसके बाद 1922 में स्वराज्य पार्टी में सक्रिय फोर्वोर्ड पत्र का सफल संचालन एवं संपादन किया! 1924 में कलकत्ता महापालिका के कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किये गये ! इस वर्ष बंगाल अध्यादेश के विरोध के कारण माडले जेल में उन्हें कैद कर दिया गया ! जेल में दुर्व्यवहार के विरुद्ध1926 में उपवास पर रहे ! 1928 में वे प्रान्तीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए ! गाँधी जी से मतभेद होने के कारण आपने कांग्रेस अध्यक्ष पद से त्याग पत्र दे दिया ! उन्होंने महसूस किया की शांतिपूर्वक व आग्रह करके आजादी हासिल नहीं हो सकती ! नेता जी ने स्वराज्य प्राप्ति के लिए फोर्वोर्ड ब्लाक दल का गठन कियाइस दल के कारण आपने कांग्रेस से त्याग पत्र दे दिया ! आपके उत्साह, सूझ-बुझ और बेमिसाल योजना के कार्यन्वयन से अँग्रेजी सत्ता कांपने लगी.

“तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा”सुभाषचन्द्र बोस छद्म वेश धारण कर घर से फरार हो गये गूंगे-बहरे पठान के रूप में पंद्रह हजार मील का सफ़र तय करके सुभाषचंद्र बोस अफगानिस्तान होते हुए बर्लिन पहुँच गए ! उस समय जर्मनी में हिटलर का शासन था हिटलर ने सुभाषचंद्र बोस का सम्मान किया साथ ही उसे हर संभव मदद देने का अश्वासन दिया! हिटलर ने नेताजी को दो वर्ष का सेनिक प्रशिक्षण दिया! इस प्रकार वह एक अच्छा जनरल साबित हुआ 1942 में नेताजी ने जापान में “आजाद हिन्द फ़ौज” का गठन किया ! सुभाष चन्द्र बोस द्वारा गठित इस आजाद हिन्द फ़ौज में शामिल युवक काफी हिम्मती व बहादुर थे.

आजाद हिन्द फ़ौज के गठन ने बाद नेताजी ने गुलामी की जिन्दगी जी रहे भारतीयों को उत्साहहित करने के लिए ही नारा दिया था “तुम मुझे खून दो में तुम्हें आजादी दूंगा”?

नेता जी की मौत की खबर?

23 अगस्त 1945 को टोकियो आकाशवाणी ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की मौत का समाचार प्रसारित किया! बताया जाता है की उनकी मौत हवाई जहाज की दुर्घटना के कारण हुई लेकिन कई लोगों का मानना है की नेताजी मौत हवाई जहाज दुर्घटना में नहीं हुई ! सम्पूर्ण विश्व में एकमात्र श्रदा-विश्वास और सम्मान के साथ नेताजी की उपाधि को प्राप्त करने वाले सुभाषचंद्र बोस कीदेश भक्ति का आदर्श आज भी हमें प्रेरित और उत्साहित करता है और आने वाली पीढ़ी को भी इस तरह भाव-विभोर करते रहेगा.

Essay on indira gandhi in hindi - इंदिरा गाँधी पर निबंध?

आज का हमारा विषय है “इंदिरा गाँधी पर निबंध” (indira gandhi essay) और इंदिरा गाँधी की जीवनी तो चलिए शुरू करते है और इनके बारे में सभी प्रकार की जानकारी प्राप्त करते है ! अपनीअपार क्षमता और विलक्षण शक्ति संचार से भारतीय महिलाओं नेन केवल अपनी जन्मभूमि भारत को ही गौरवान्वित किया है बल्कि सम्पूर्ण विश्व में भी अपना व देश का नाम रोशन किया है ! ऐसी महिलाओं में इंदिरा गाँधी का नाम शिखर पर है ! भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री श्री मति इंदिरा गाँधी का जन्म नवम्बर सन 1917 को इलाहाबाद स्थित आनंद भवन में हुआ था ! आपके व्यक्तित्व पर दादा पंडित मोतीलाल नेहरू, पिता जवाहरलाल नेहरू औरमाता कमला नेहरू के साथ-साथ बुआ पंडित विजयालक्ष्मी का भी प्रभाव पड़ा था ! आपकाजब जन्म हुआ वह ऐसा एतिहासिक युग था, जब हमारे देश को अँग्रेजों ने पूर्ण रूप से अपने अधीन कर लिया था! इंदिरा गाँधी के बचपन का नाम इंदु प्रियदर्शनी था.


इंदिरा गाँधी जी की शिक्षा (Education of indira gandhi)?

माँ की अस्वस्थता के कारण आपकी प्रारंभिक शिक्षा विधिवत रूप से नहीं चल सकी ! 1934 में इंदिरा गाँधी को प्राथमिकता शिक्षा हेतु रवीन्द्रनाथ टेगोर के शांति निकेतन भेजा गया !1937 मेंइनकी माता कमला नेहरू का देहांत हो गया ! इसके बाद इंदिरा जी को अध्यन करने स्विटजरलैंड भेज दिया गया ! सबसे अंत में उन्होंने ऑक्स्फ़र्ड के समरविला कॉलेज में अध्ययन किया! माँ की म्रत्यु सेउनका बचपन अस्थिरता में बिता ! पिता पंडित जवाहर लाल नेहरू अधिकतर स्वतंत्रता आन्दोलन से ही जुड़े रहे ! अत: राजनेतिक वातावरण उन्हें पैत्रिक विरासत के रूप में मिला! बचपन में ही स्वतंत्रता संघर्ष के लिए उन्होंने नेताओं की सहायता से वानर सेना गठित की थी ! इस कारण इंदिरा गाँधी प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से स्वतंत्रता आन्दोलन में अपना योगदान देती रही ! 21 वर्ष की आयु में इंदिरा गाँधी भारतीय कांग्रेस में शामिल हो गई.

प्रिय दर्शनी इंदिरा जी का विवाह (indira gandhi marriage)

आपका विवाह फिरोज गाँधी से हुआ था जो विवाहोंपरांत सांसद, कर्मठ युवा नेता और एक प्रमुख अँग्रेजी पत्र के संपादक के रूप में चर्चित रहे ! फिरोज गाँधी के प्रेम बंधन में इंदिरा जी ऑक्स्फ़र्ड विश्वविद्यालय में अध्ययन के दौरान ही बंध गयी थी! 1956 में आप सर्वसम्मति से कांग्रेस दल की आध्यक्ष चुन लि गई !1960 में आपके पति फिरोज गाँधी का आकस्मिक निधन हो गया पति की म्रत्यु के बाद आपने अपने दोनों पुत्रों राजीव गाँधी और संजय गाँधी के पालन-पोषण में कोई कमी नहीं आने दी ! आपने अपने दोनों बेटों के भविष्य को उज्ज्वल और स्वर्णिम बनाने के लिए उन्हें लन्दन उच्च शिक्षा के लिए भेज दिया!

जब आप प्रधानमंत्री पद के लिए चुनी गई?

देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के अचानक निधन के बाद लालबहादुर शास्त्री को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था, लेकिन शास्त्री जी भी प्रधानमंत्री बनने के लगभग डेढ़ वर्ष की अल्प अवधि में ही चल बसे थे ! उस समय सर्वाधिक सक्षम और योग्यतम व्यक्ति के रूप में श्री मति इंदिरा गाँधी को ही देश की बागडोर देते हुए प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया ! प्रधानमंत्री बनने से पूर्व इंदिरा जी श्री लाल बहादुर शास्त्री के मंत्रिमंडल में विभिन्नपदों पर कुशलतापूर्वक कार्य करके अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन कर चुकी थी ! भारत की सर्वप्रथम महिला प्रधानमंत्री पद की शपत आपको 48 वर्ष की आयु में 24 जनवरी 1966 को तत्कालीन राष्ट्पति सर्वपल्ली राधाकृषणन ने दिलाई थी! 1967 का आम चुनाव जो आपके नेत्रत्व में लड़ा गया था उसमे आपको अपार बहुतमत मिला और आप फिर से प्रधानमंत्री के पद पर आसीन हुई ! आपके प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए1971 में जब पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण किया तो आपने अपनी कूटनीति का परिचय देते हुए पाकिस्तान को मुहँ तोड़ जवाब दिया ! इस प्रकार पाकिस्तान के पूर्वी अंग का बांग्लादेश के रूप में उसका कायाकल्प करवा दिया.

जब आपकी हत्या कर दी गई (Death of indira gandhi)

सन1977 में पराजय के बाद इंदिरा गाँधी ने दोगुने साहस के साथ 1980 में चुनाव लड़ा और पुन: सत्ता में लौट आयी ! सत्ता मेंआने पर इंदिरा जी ही विश्व कीपहली महिला प्रधानमंत्री थी उन्होंने अपने नाम पर ही इंदिरा कांग्रेस नाम से एक नए राजनितिक दल की स्थापना की ! जयप्रकाश नारायण, राजनारायण, हेम्वंती नंदन बहुगुणा, मधु लिमये, चौधरी चरण सिंह, वाई.बी चौहान आदि राजनीतीज्ञो की लंबी पंक्ति इंदिरा गाँधी की प्रशंसक रही! इंदिरा जी की अत्यंत कुशल पारखी थी! समय की पहचान करके मध्यावधि चुनाव कराना, आपातकाल के अंतर्गत कड़ाई से शासन करना, गुटनिरपेक्ष सम्मेलन का अध्यक्ष बनना, कॉमनवेल्थ कांग्रेस का आयोजन, बेंको का राष्टीयकारण जैसे कई एहम फैसले उन्होंने महिला होते हुए भी लिए ! 31 अक्टूबर 1984 को उन्हीं की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मीयों ने गोलियों से भुनकर इतिहास पर कालिख पोत दी.

याद करेगा भारत का इतिहास तुम्हें !
याद करेगा भारत का बलिदान तुम्हें !
याद रहेगा महाकाल का रूप तुम्हारा !
याद रहेगा शत्रु विमर्दन काम तुम्हारा !

Essay on Mother Teresa in Hindi - मदर टेरेसा पर निबंध?

इस पोस्ट में हम मदर टेरेसा पर निबंध (Mother Teresa Essay) पढेंगे या उनकी जीवनी के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे ! पिछले लेख में हमने लोकप्रिय नेता अटल बिहारी वाजपेयी जी पर निबंध लिखा था तो चलिए जानते इस पोस्ट में आपको मदर टेरेसा के बारे क्या-क्या जानकारी मिलेगी जैसे: मदर टेरेसा का जीवन परिचय, जन्म कहा और कब हुआ था,इन्होने अपने जीवन काल में किन-किन कठिनाईयों का सामना करना पड़ा आदि तो चलिए निबंध को शुरू करते है.


मदर टेरेसा का जीवन परिचय (Essay on Mother Teresa)?

जन्म-परिचय:- मदर टेरेसा ने युगोस्लाविया के स्कोपजे नामक नगर में 26 अगस्त 1910 को जन्म लिया ! उनके पिता अल्बानियन पेशे से भवन निर्माण कर्ता थे ! टेरेसा को बचपन में अगनेस बोहजिऊ नाम से बुलाया जाता था ! इनके माता-पिता धार्मिक विचारों वाले थे ! 12 वर्ष की कम उम्र में ही मदर टेरेसा ने अपने जीवन का लक्ष्य तय कर लिया ! यह लक्ष्य था मानवता के प्रति प्रेम और सेवा की भावना का ! इसे देश, जाति या धर्म जैसी परिधि में शामिल नहीं किया जा सकता ! व्यक्ति ममता और करुणा की भावना रखे तो अपना सारा जीवन मानवता की सेवा में अर्पित कर सकता है ! ऐसी ही सोच रखने वाली विभूतियों में मदर टेरेसा सबसे ऊपर थी ! वह ममता और करुणा की साक्षात् प्रतिमूर्ति थी.

18 वर्ष की उम्र में उन्होंने नन बनने का निर्णय ले लिया था ! इसके लिए वह आयरलैंड गयी तथा लोरेटो के नन केंद्र में शामिल हो गयी ! फिर वहा से उन्हें भारत भेजा गया था ! 1929 में वह कलकत्ता में मदर टेरेसा लोरेटो अटेली स्कूल में अध्यापिका बनी ! यहाँ कर्म के प्रति उनकी कर्तव्य निष्ठा ने उन्हें प्रधानाध्यापिका का पद दिलाया ! किन्तु उन्होंने यह पद पाकर संतोष प्राप्त नहीं किया उन्हें तो जीवन का उद्देश्य सदैव मानव सेवा ही लगता था ! 10 दिसम्बर, 1946 को जब वह रेल-यात्रा कर दार्जिलिंग की और जा रही थी तो उनकी अंतरात्मा ने यही रहकर गरीब और असहायों की सेवा के लिए पुकारा ! स्वयं की आंतरिक पुकार को सुनकर उन्होंने स्कूल छोड़ दिया तथा 1950 में ईसाई मिशनरीज आफ चैरिटी की स्थापना की ! इसके बाद तो नीली किनारे वाली सफ़ेद साड़ी की पहचान पाकर ये आजीवन पीडितो की सेवा ही करती रही ! 1948 में इन्होने कोलकाता में झुगी में जीवन-यापन करने वाले बच्चो का स्कूल भी खोला ! पास ही काली मंदिर के पास ‘निर्मल-धर्मशाला की स्थापना की ! वहा कई ऐसे लोगो का उपचार हुआ जिनका कोई निश्चित आवास नहीं था और वे फूटपाथ-गली में जीवन-यापन करते थे.

कार्यक्षेत्र और प्रसिद्धी:-

टेरेसा स्वभाव से अत्यंत ही सहनशील, साधारण और करूणामयी थी ! रोगी, भूखे, नंगे और शोषित वर्ग से उन्हें अत्यधिक ममता थी ! अनाथ और विकलांग बच्चो के विकास का उन्होंने आजीवन प्रयास किया ! सोलहवी शताब्दी की एक प्रसिद्ध नन के नाम पर उन्होंने अपना नाम टेरेसा रख लिया बाद मे इससे अन्य सिस्टर भी जुडती चली गयी ! वह सारे शहर में मरणासन मरीजो की तलाश में निकलती थी ! मदर टेरेसा पहले क्रिक लेन में रहती थी बाद में सर्कुलर रोड में रहने लगी वह मकान आज भी सारे विश्व में मदर-हाउस के नाम से जाना जाता है ! 1952 में स्थापित हुए निर्मल-ह्रदय केंद्र में आज विश्व के 120 देशो की संस्थाए काम कर रही है जिनमे 169 शिक्षण संस्था, 1369 उपचार केंद्र तथा 755 आश्रय-घर है ! वे ह्रदय रोग से पीड़ित थी ! 1989 में वे पेसमेकर के सहारे पर निर्भर थी ! अंतत: सितम्बर, 1997 में उन्होंने अंतिम सांस ली ! आज मदर टेरेसा हमारे मध्य नहीं है किन्तु अनाथ और असहाय लोगो की सेवा की प्रेरणा उन्होंने अपने जीवन से सारे संसार को दे दी.

व्यक्तिगत और राजनैतिक जीवन:-

प्रखर नेता होने के साथ-साथ वाजपेयी जी की छवि एक कुशल कवि और लेखक के रूप में भी रही है ! उनकी लिखी मुख्य किताबे है- म्रत्यु या हत्या, लोकसभा में अटलजी, अमर-बलिदान, कैदी कविराय की कुण्डलिया, न्यू डाई मेन्सन ऑफ़ इंडियनफॉरेनपालिसी, फोर डिकेट्स इन पार्लियामेंट आदि है ! एक प्रसिद्ध काव्य-संग्रह में इक्यावन कविताओ का संग्रह है ! इनका व्यक्तित्व विनम्र, कुशाग्र बुद्धि और अद्वितीय प्रतिभा का रहा है ! वाजपेयी जी दुसरे प्रयास में विशाल जनादेश के दम पर प्रधानमंत्री पद के रूप में आसीन हुए उससे पहले भी अल्पमत की वजह से उन्हें इस्तीफ़ा देना पड गया अन्यथा उन्होंने इस पद की योग्यता को साबित कर दिया था ! 2004 के आम-चुनावों में भाजपा और राजग के गठबंधन के नेता होने के बावजूद अटलजी पराजित हुए ! इस घटनाक्रम के तुरंत बाद वाजपेयी जी ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया और वे भूतपूर्व प्रधान मंत्रीयों की श्रेंणी में आ गए ! उनकी अवस्था देखकर ही भाजपा पार्टी ने उन्हें संसदीय दल के नेता का कोई पद नहीं दिया ! इनके अच्छे कार्यो की वजह से लोग आज भी पकिस्तान तक में इन्हें याद करते है ! यहाँ तक की वहा के राष्ट्रपति तक ने भी इनके दोबारा सत्ता में न आने पर एक बार दुःख जताया था ! अटल बिहारी वाजपेयी जी ने स्वयं की उपस्थिति एक अच्छे व्यक्तित्व वाले कवि, लेखक, नेता और कुशल राजनीतिज्ञ के रूप दर्ज कराई ! आज भी कथन की गंभीरता और सार्थक भाषण के लिए इन्हें कुशल वक्ता के रूप में याद किया जाता है ! और इन्हें भारत में सदैव अग्रिम पंक्ति के आदर्श और योग्य नेताओ में याद रखा जायेगा !यह लेख आपको कैसा लगा अपने विचार और सवाल हमें निचे दिए गए कमेंट बॉक्स के सहायता से जरुर लिख भेजें हमें आपके कमेंट का सदेव इंतजार रहेगा और जैसे ही हमें आपका सन्देश मिलेगा हम जल्दी से जल्दी आपसे सम्पर्क करने का प्रयास करेंगे ! (धन्यवाद)

Play Bazaar और Satta King के Game को चतुराई से कैसे खेलें.

हर कोई जानता है की हर आदमी अपनी income या कम समय में अधिक पैसा कामने की लालसा में satta जैसे game खेलता है पर जब हम अब बात ही सट्टे की कर रहे हो तो हमारे मन और दिमाग में बस एक ही नाम आता है और उसके नाम को याद करना मेरे हिसाब से कोई भी नही भूल सकता है और वो है final ank की online game की websites. Gali satta game खेलने वालो में kalyan final ank सबसे अधिक famous है जो की हर कोई जानता है किन्तु अब इसकी लोकप्रियता international level के सट्टेबाजो के मन में भी फ़ैल गयी है. विश्व में ऐसा कोई देश या कोई state नही है जहाँ के लोग satta नही खेलते हो या जहाँ सट्टेबाज़ या जुआरी ना हो इसलिए अलग अलग जगह पर kalyan final ank को अलग अलग नाम से जाना जाता है फिर भी कुछ लोग गलत तरीके और धोखाधड़ी को ही प्राथमिकता देकर kalyan final ank जैसे सट्टे के खेल को जीतते है. ये कोई बताने वाली बात नही है की सट्टे के game में दावँ लगाना ही पडता है चाहे वो वस्तु हो या पैसा. उसी तरीके से mataka final जैसे game के शुरुआत में आपको दावं लगाना ही पड़ता ही है. यहाँ दाव लगाने का अर्थ है की आपको अपनी सबसे मूल्यवान वस्तु की बाजी लगनी होगी.

Examples के लिए पुराने ज़माने में जब सट्टेबाज़ satta mataka जैसे game खेलते थे जिन्हें आज हम kalyan mataka game कहते है उस समय सट्टेबाजो के द्वारा दावं पर कपास को लगाया जाता था जिन्हें वे छुपा देते थे और जितने वाले खिलाडी को इनाम के रूप में कपास दी जाती थी. कोई भी खेल बिना कर्म और उत्साह के बिना कुछ भी नही होता है उसी प्रकार satta mataka भी एक ऐसा game है जो किसी भी खिलाडी या सट्टेबाज़ के कर्म और उत्साह पर निर्भर करता है या हम कह सकते है की यही इसका आधार है. एक घटना के आधार पर हम ऐसा कह सकते है कि यदि किसी खिलाडी या सट्टेबाज़ का कर्म या उसकी game उसके साथ है तो वो जैसी चाल या दावं चलेगा वैसा ही result उसे मिलेगा और सारा satta game उसके पक्ष में होगा और उसे बिना ज्यादा मेहनत किये ही वह game को अपने हक में करलेगा और कुछ ही घंटो या मिनट में वह अपनी किस्मत को चमका लेगा अर्थार्थ वह अमीर बन जायेगा.

अगर यदि ऐसा होता भी है कभी की सट्टेबाज़ का किया कर्म उसके पक्ष में ना हो या उसके खेले दावं उलटे पड जाये तो उसे भारी नुकसान भी हो सकता है. सट्टे के इस game में हम सिर्फ कर्म को एक मुख्य पहलु या मुख्य कारण नही मान सकते है. क्योकि सट्टे के इस game में सट्टेबाजो को सोच समझ कर विचार करके एक ऐसा नंबर या एक ऐसी जोड़ी संख्या का चुनाव करना होगा या चुनना होगा की वो आपके satta result से match होती हो. Dpboss खेल खेलने से पहले सट्टेबाज़ चाहे नया हो या अनुभवी उसे हमेशा एक स्पष्ट और सटीक नंबर या जोड़ी संख्या ही चुननी चाहिए.

सट्टे की दुनिया में dpboss mataka अब तक का सबसे प्रसिद्ध game है जो कि India में ही नही पुरे विश्व में बहुत अधिक लोकप्रिय है. कुछ देशो में लोग अकेले या स्वयम के दम पर अपने निजी जीवन में satta mataka जैसे game को interest और पूरी तरकीब और तकनीक के साथ खेलते हैं. Satta game को online level पर खेला जाता है जिसके कारण इसका प्रचार-प्रसार बहुत अधिक तेजी से हो रहा है और सट्टेबाज़ अधिक से अधिक इस game से जुड़ रहे है जिससे खिलाडी कुछ ही समय में सट्टे के इस game को जीत कर धनवान बन जाते है.

Satta King के इस game को india में एक बड़े समूह में खेला जाता है जिससे लोग अधिक से अधिक इससे जुड़ रहे है इस खेल को समझने और इसे जीतने के लिए खिलाड़ी को unique या आसाधारण तरकीब का इस्तेमाल करना होगा ताकि आप एक satta king बन सके. कुछ लोग इस सट्टे से सम्बंधित इस game के बारे में एक बात शायद नही जनते होने की online सट्टे में कई website है जो की fake या फर्जी है ये online सट्टे का game आपको पल भर या कुछ ही महीनों में बहुत ही ख़ास हिस्सा बना सकता है. पर यदि आप fake या फर्जी website के झासे में आते है तो आपके साथ इसका विपरीत भी हो सकता है. इसलिए सट्टेबाजो को कुछ नियम और सावधानियो पर ध्यान देना चाहिए जभी धोके और fraud से बचना चाहिए.

कुछ तरकीब और तकनीक जो आपको satta king बनने में मदद करेगा:-

  • सबसे पहले या मुख्य rule है की आपको सट्टे का एक ऐसा game चुनना है जिसे आप खेलना जानते है.
  • खेलते समय आपको अपने पैसे का विशेष धयन रखना है अर्थार्थ उसका सोच समझ कर इस्तेमाल करना है.
  • हम आपको पहले भी बता चुके है की ये game पुरे तरीके से कर्म और उत्साह पर निर्भर है. 
  • सट्टेबाज़ खिलाडी या जुआरी को नंबर का चुनाव सोच समझ कर करना है ताकि बाद में उन्हें कोई पछतावा ना हो.
  • कई website आपको नंबर चुनने की तकनीक बताती है जो भी आपको ध्यान रखनी है.
इस तरह से आप satta game खेल कर satta king बन सकते है.

Satta King से Benefit प्राप्त करने के लिए इस रणनीति को शामिल करे.

क्या आपने कभी अपना भाग्य या किस्मत को सट्टे की दुनिया या जुए की दुनिया में आजमाने की कोशिश की है? कई लोग ऐसा सोचते है की सट्टा खेल कर या जुआ खेल कर पैसे कमाना एक बहुत जोखिम भरा काम है जो की बिलकुल गलत है यदि आप एक अच्छे खिलाडी है और आपको किसी भी खेल को समझने की अच्छी समझ है या आपके पास एक चतुराई पूर्ण तरकीब है तो आप सट्टे या जुए के game को आसानी से खेल सकते है और जीत भी सकते है. Playbazaar ने अपने खिलाडियों के लिए कुछ महत्वपूर्ण बाते या विचार साझा किये है जो की नौसिखिया खिलाडी या सट्टेबाज़ अपने दिमाग में याद नही रखते है अर्थार्थ भूल जाते है.

यदि आपने भी अभी तक Play bazaar के महत्वपूर्ण नियम और युक्ति को पढ़ा नही है तो जुए की दुनिया या सट्टे की दुनिया मे अपना carrier या भविष्य बनाने से पहले जरुर पढियेगा. Satta King एक साधरण lottery है या एक साधारण game है जो की उन ही लोगो के साथ खेला जाता है जो की इस lottery के video और games का मजा लेते है या आनद के साथ खेलते है. लेकिन मैं आपको एक बहुत जरूरी बात बताना चाहती हूँ की कुछ लोगो का ऐसा सोचना है या ऐसा मानना है की Satta Mataka एक ऐसा game है जहाँ आपको बहुत अधिक मात्र में पैसा invest करना होता है या बहुत अधिक मात्र में पैसे का सट्टा या जुआ लगाना पड़ता है और उसके बाद आपका सारा पैसा डूब जाता है या हम ऐसा कह सकते है आपको बहुत बड़ी धन की हानि होती है. किन्तु ऐसा बिलकुल नही है क्योकि ये एक आधारहीन भविष्यवाणी है जो की पूरी तरह से झूठ है. Satta mataka के लिए ऐसी सोच हर किसी की मानसिकता पर निर्भर करती है. इसलिए ऐसे लोग Satta mataka Final game के बारे में कुछ भी समझ नही पाते है.

कई अवसरों में देखा जाता है की जो महिलाये या पुरुष प्राम्भ या शुरुआत में जुआ या सट्टा खेलने के लिए कैसिनो में जाते है वे लोग भारी मात्रा में धन का नुकसान कर लेते है या फिर हम ऐसा कह सकते है की वे लोग अधिक मात्रा में जुए या सट्टे में पैसो का नुकसान कर देते है या पैसा गवा देते है. क्योकि वे लोग video game खेलने के लिए पर्याप्त तकनीक और तरकीब का उपयोग नही करते है जबकि उनके पास अपने competitor को हाराने के लिए एक अच्छी खासी तरकीब या योजना होती है. इसके अलावा वह धन के समायोजन या पैसो के लेन देन को सही तरीके से समझ नही पाते है जिससे भी उनको सट्टे के game में भारी नुकसान होता है. यदि आप disawar result game को खेलने के लिए कोई अच्छा सुझाव या तकनीक जानते है तो आप थोड़े से प्रभावी hint या तकनीक के द्वारा भी इसे जीत सकते है.

आप किसी भी प्रकार के video Game को खेल कर या उसमे भाग लेकर एक बहुत बड़ी धन राशी या बहुत अधिक मात्रा में पैसा जीत सकते है. यदि आप वास्तव में एक सफल जुआरी या सट्टेबाज़ बनना चाहते है तो आपको एक ऐसा game चुनने की आवश्यकता है जो की आपकी सुविधा, तरकीब और तकनीक के हिसाब से fit बैठता हो. सट्टे की दुनिया में आप यदि एक अनुभवी जुआरी है या आप पहली बार जुआ खेलते है तो आपको हमेशा ही अपने मजबूत और कमजोर बिंदुओं को ध्यान में रखना चाहिए जो की बहुत अधिक महतवपूर्ण और आवश्यक है. इसलिए आपको जुआ या सट्टा खेलने से पहले एक ऐसे video game का चुनाव करना चाहिए जिसकी सभी युक्ति या तरकीब आप जानते हो ताकि जिसे खेल कर आप एक अच्छी खासी धन राशी या पैसा कमा सके.

जब आप सट्टे की दुनिया में अपने कदम रखते है या आप जब जुए की दुनिया में प्रवेश करते है तो आपको सिर्फ एक ही बात याद रखनी है वह ये की आपको बस अपने स्वयम के game पर ध्यान रखना है क्योकि यही एक सरल उपाय है जिससे आप अपने game को जीत सकते है. इसके बाद आपको satta game खेलने के विभिन प्रक्रिया और level को जानने की जरूरत है जो की इस game का आपको master बनाने में मदद करेगा. एक बात आपको हमेशा अपने दिमाग में याद रखनी है की अपने पसंदीदा game का ही चुनाव करे जब तक की आप एक पक्के सट्टेबाज़ या एक पक्के जुआरी नही बन जाते है. अत: हम सीधी और सरल भाषा में कहूँ तो अपनी पसंद का game चुने, उससे खेले और अधिक मात्रा में पैसा कमाए.

जैसा की आप सब जानते है की Dpboss और दुसरे सट्टे के खेल पैसो पर आधारित है. अब ये चाहे जो भी हो आपको सट्टे या जुए की दुनिया में पैसा invest करते समय बहुत अधिक सावधान रहने की जरूरत है क्योकि यदि आपने एक बार गलत तरीके से पैसा invest कर दिया तो निश्चित ही आपका पैसा डूब जायेगा. Final ank सट्टेबाजो को प्रत्येक level पर पहुच कर पैसो पर नियंत्रण का सुझाव देता है.

इसलिए आपको एक सही fix mataka game चुनने की जरूरत है जो की आपको रातो रात धनवान बनाने में मदद करेगा. ये हमारे महत्वपूर्ण सुझाव है आपके लिए इसे लोगो को बताना ना भूले.

 

चेतवानी (Warning)

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