डॉ हरिवंशराय बच्चन
परिचय :प्रखर छायावादऔर आधुनिक प्रगति के स्तम्भ माने जाने डॉ. हरिवंशराय बच्चन का जन्म 27 नवंबर 1907 को प्रयाग के पास स्थित आमोढ गाँव में हुआ था | उन्होंने प्राम्भिक शिक्षा कायस्थ पाठशाला ,सरकारी पाठशाला से प्राप्त की | इसके बाद की पढाई उन्होंने इलाहबाद के राजकीय कॉलेज और विश्व विख्यात काशी हिन्दू विश्वविधालय से की | पढाई ख़तम करने के बाद वे शिक्षक पेशे से जुड़ गए और 1941 से 1952 तक इलाहबाद में अंग्रेजी के प्रवक्ता रहे.
इसके बाद वे पी.एच.डी. करने इंग्लैंड चले गए जहा 1952 से 1954 तक उन्होंने अध्ययन किया | हिंदी के इस विद्वान ने कैम्ब्रिज विश्वविधालय से पी.एच.डी. की डिग्री डब्लू. बी. येट्स के कार्यो पर शोध क्र प्राप्त की | यह उपाधि प्राप्त करने वाले वे पहले भारतीय बने.
विदेश से शिक्षा ग्रहण के बाद प्रोफेसर से राज्यसभा के मनोनीत सदस्य बनने का सफ़र
वे आजीवन हिंदी साहित्य को समृद्ध करने लगे रहे | कैम्ब्रिज से लौटने के बाद उन्होंने एक वर्ष तक पूर्व पद पर कार्य किया | इसके बाद उन्होंने आकाशवाणी के इलाहबाद में भी कार्य किया था | वे 16 वर्ष तक दिल्ली में रहे और उसके बाद विदेश मंत्रालय में दस वर्षो तक हिंदी विशेषज्ञ जैसे महत्वपूर्ण पद पर रहे | इन्हें राज्य सभा में छ: वर्षो तक के लिए विशेष सदस्य के रूप में मनोनीत किया गया और 1972 से 1982 तक वह अपने पुत्र अमिताभ के साथ कभी दिल्ली कभी मुंबई में रहे | बाद में उन्होंने ने दिल्ली में ही रहने का फैसला किया.
डॉ. हरिवंशराय की काव्य विशेषता:
डॉ. हरिवंशराय बच्चन द्वारा लिखी गई ‘मधुशाला’ हिंदी काव्य की कालजयी रचना मणि जाति है इसमें उन्होंने शराब व मयखाना के माध्यम से प्रेम सौन्दर्य, पीड़ा, दुःख, मृत्यु और जीवन के सभी पहलूओं को अपने शब्दों में जिस तरह से पेश किया ऐसे शब्दोंका मिश्रण और कही देखने को नहीं मिलता है | आम लोगो के समझ में आ जाने वाली इस रचना को आज भी गुनगुनाया जाता है | डॉ. बच्चन जब इसे खुद इसे गाकर सुनाते थे तो वे क्षण बहुत अद्भुत लगते थे | इन्होने कई फिल्मो के लिए गाने भी लिखे जैसे सिलसिला और अग्निपथ.
डॉ. बच्चन का काव्य सफ़र :
डॉ. बच्चन को उनकी रचनाओ के लिए विभिन्न पुरस्कारों से नवाजा जाता रहा | सन॒ 1968 में डॉ. बच्चन को हिंदी कविता का साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ | यह पुरस्कार उन्हें उनकी कृति ‘दो चट्टाने’ के लिए दिया गया | बिडला फाउंडेशन द्वारा उन्हें उनकी आत्मकथा के लिए सरस्वती सम्मान से नवाजा गया है | इस सम्मान के तहत उन्हें तीन लाख रूपए प्राप्त हुए और 1968 में ही उन्हें सोवियत लैंड नेहरु और एफ्रोएशियाई सम्मेलन के कमल पुरस्कार से सम्मानित किया गया | साहित्य सम्मेलन द्वारा उन्हें साहित्य वाचस्पति पुरस्कार दिया गया | बाद में इन्हें भारत सरकार द्वारा इन्हें पद्मभूषण के अवार्ड के द्वारा सम्मानित किया गया |उनकी कविताओं में आरम्भिक छायावाद, रहस्यवाद ,प्रयोगवाद और प्रगतिवाद का एक साथ समावेश देखने को मिलता है | डॉ. बच्चन पूर्व प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरु के परिवार से काफी नजदीक से जुड़े थे |