इस पोस्ट में हम मदर टेरेसा पर निबंध (Mother Teresa Essay) पढेंगे या उनकी जीवनी के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे ! पिछले लेख में हमने लोकप्रिय नेता अटल बिहारी वाजपेयी जी पर निबंध लिखा था तो चलिए जानते इस पोस्ट में आपको मदर टेरेसा के बारे क्या-क्या जानकारी मिलेगी जैसे: मदर टेरेसा का जीवन परिचय, जन्म कहा और कब हुआ था,इन्होने अपने जीवन काल में किन-किन कठिनाईयों का सामना करना पड़ा आदि तो चलिए निबंध को शुरू करते है.
मदर टेरेसा का जीवन परिचय (Essay on Mother Teresa)?
जन्म-परिचय:- मदर टेरेसा ने युगोस्लाविया के स्कोपजे नामक नगर में 26 अगस्त 1910 को जन्म लिया ! उनके पिता अल्बानियन पेशे से भवन निर्माण कर्ता थे ! टेरेसा को बचपन में अगनेस बोहजिऊ नाम से बुलाया जाता था ! इनके माता-पिता धार्मिक विचारों वाले थे ! 12 वर्ष की कम उम्र में ही मदर टेरेसा ने अपने जीवन का लक्ष्य तय कर लिया ! यह लक्ष्य था मानवता के प्रति प्रेम और सेवा की भावना का ! इसे देश, जाति या धर्म जैसी परिधि में शामिल नहीं किया जा सकता ! व्यक्ति ममता और करुणा की भावना रखे तो अपना सारा जीवन मानवता की सेवा में अर्पित कर सकता है ! ऐसी ही सोच रखने वाली विभूतियों में मदर टेरेसा सबसे ऊपर थी ! वह ममता और करुणा की साक्षात् प्रतिमूर्ति थी.
18 वर्ष की उम्र में उन्होंने नन बनने का निर्णय ले लिया था ! इसके लिए वह आयरलैंड गयी तथा लोरेटो के नन केंद्र में शामिल हो गयी ! फिर वहा से उन्हें भारत भेजा गया था ! 1929 में वह कलकत्ता में मदर टेरेसा लोरेटो अटेली स्कूल में अध्यापिका बनी ! यहाँ कर्म के प्रति उनकी कर्तव्य निष्ठा ने उन्हें प्रधानाध्यापिका का पद दिलाया ! किन्तु उन्होंने यह पद पाकर संतोष प्राप्त नहीं किया उन्हें तो जीवन का उद्देश्य सदैव मानव सेवा ही लगता था ! 10 दिसम्बर, 1946 को जब वह रेल-यात्रा कर दार्जिलिंग की और जा रही थी तो उनकी अंतरात्मा ने यही रहकर गरीब और असहायों की सेवा के लिए पुकारा ! स्वयं की आंतरिक पुकार को सुनकर उन्होंने स्कूल छोड़ दिया तथा 1950 में ईसाई मिशनरीज आफ चैरिटी की स्थापना की ! इसके बाद तो नीली किनारे वाली सफ़ेद साड़ी की पहचान पाकर ये आजीवन पीडितो की सेवा ही करती रही ! 1948 में इन्होने कोलकाता में झुगी में जीवन-यापन करने वाले बच्चो का स्कूल भी खोला ! पास ही काली मंदिर के पास ‘निर्मल-धर्मशाला की स्थापना की ! वहा कई ऐसे लोगो का उपचार हुआ जिनका कोई निश्चित आवास नहीं था और वे फूटपाथ-गली में जीवन-यापन करते थे.
कार्यक्षेत्र और प्रसिद्धी:-
टेरेसा स्वभाव से अत्यंत ही सहनशील, साधारण और करूणामयी थी ! रोगी, भूखे, नंगे और शोषित वर्ग से उन्हें अत्यधिक ममता थी ! अनाथ और विकलांग बच्चो के विकास का उन्होंने आजीवन प्रयास किया ! सोलहवी शताब्दी की एक प्रसिद्ध नन के नाम पर उन्होंने अपना नाम टेरेसा रख लिया बाद मे इससे अन्य सिस्टर भी जुडती चली गयी ! वह सारे शहर में मरणासन मरीजो की तलाश में निकलती थी ! मदर टेरेसा पहले क्रिक लेन में रहती थी बाद में सर्कुलर रोड में रहने लगी वह मकान आज भी सारे विश्व में मदर-हाउस के नाम से जाना जाता है ! 1952 में स्थापित हुए निर्मल-ह्रदय केंद्र में आज विश्व के 120 देशो की संस्थाए काम कर रही है जिनमे 169 शिक्षण संस्था, 1369 उपचार केंद्र तथा 755 आश्रय-घर है ! वे ह्रदय रोग से पीड़ित थी ! 1989 में वे पेसमेकर के सहारे पर निर्भर थी ! अंतत: सितम्बर, 1997 में उन्होंने अंतिम सांस ली ! आज मदर टेरेसा हमारे मध्य नहीं है किन्तु अनाथ और असहाय लोगो की सेवा की प्रेरणा उन्होंने अपने जीवन से सारे संसार को दे दी.
व्यक्तिगत और राजनैतिक जीवन:-
प्रखर नेता होने के साथ-साथ वाजपेयी जी की छवि एक कुशल कवि और लेखक के रूप में भी रही है ! उनकी लिखी मुख्य किताबे है- म्रत्यु या हत्या, लोकसभा में अटलजी, अमर-बलिदान, कैदी कविराय की कुण्डलिया, न्यू डाई मेन्सन ऑफ़ इंडियनफॉरेनपालिसी, फोर डिकेट्स इन पार्लियामेंट आदि है ! एक प्रसिद्ध काव्य-संग्रह में इक्यावन कविताओ का संग्रह है ! इनका व्यक्तित्व विनम्र, कुशाग्र बुद्धि और अद्वितीय प्रतिभा का रहा है ! वाजपेयी जी दुसरे प्रयास में विशाल जनादेश के दम पर प्रधानमंत्री पद के रूप में आसीन हुए उससे पहले भी अल्पमत की वजह से उन्हें इस्तीफ़ा देना पड गया अन्यथा उन्होंने इस पद की योग्यता को साबित कर दिया था ! 2004 के आम-चुनावों में भाजपा और राजग के गठबंधन के नेता होने के बावजूद अटलजी पराजित हुए ! इस घटनाक्रम के तुरंत बाद वाजपेयी जी ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया और वे भूतपूर्व प्रधान मंत्रीयों की श्रेंणी में आ गए ! उनकी अवस्था देखकर ही भाजपा पार्टी ने उन्हें संसदीय दल के नेता का कोई पद नहीं दिया ! इनके अच्छे कार्यो की वजह से लोग आज भी पकिस्तान तक में इन्हें याद करते है ! यहाँ तक की वहा के राष्ट्रपति तक ने भी इनके दोबारा सत्ता में न आने पर एक बार दुःख जताया था ! अटल बिहारी वाजपेयी जी ने स्वयं की उपस्थिति एक अच्छे व्यक्तित्व वाले कवि, लेखक, नेता और कुशल राजनीतिज्ञ के रूप दर्ज कराई ! आज भी कथन की गंभीरता और सार्थक भाषण के लिए इन्हें कुशल वक्ता के रूप में याद किया जाता है ! और इन्हें भारत में सदैव अग्रिम पंक्ति के आदर्श और योग्य नेताओ में याद रखा जायेगा !यह लेख आपको कैसा लगा अपने विचार और सवाल हमें निचे दिए गए कमेंट बॉक्स के सहायता से जरुर लिख भेजें हमें आपके कमेंट का सदेव इंतजार रहेगा और जैसे ही हमें आपका सन्देश मिलेगा हम जल्दी से जल्दी आपसे सम्पर्क करने का प्रयास करेंगे ! (धन्यवाद)