आज का हमारा विषय है “इंदिरा गाँधी पर निबंध” (indira gandhi essay) और इंदिरा गाँधी की जीवनी तो चलिए शुरू करते है और इनके बारे में सभी प्रकार की जानकारी प्राप्त करते है ! अपनीअपार क्षमता और विलक्षण शक्ति संचार से भारतीय महिलाओं नेन केवल अपनी जन्मभूमि भारत को ही गौरवान्वित किया है बल्कि सम्पूर्ण विश्व में भी अपना व देश का नाम रोशन किया है ! ऐसी महिलाओं में इंदिरा गाँधी का नाम शिखर पर है ! भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री श्री मति इंदिरा गाँधी का जन्म नवम्बर सन 1917 को इलाहाबाद स्थित आनंद भवन में हुआ था ! आपके व्यक्तित्व पर दादा पंडित मोतीलाल नेहरू, पिता जवाहरलाल नेहरू औरमाता कमला नेहरू के साथ-साथ बुआ पंडित विजयालक्ष्मी का भी प्रभाव पड़ा था ! आपकाजब जन्म हुआ वह ऐसा एतिहासिक युग था, जब हमारे देश को अँग्रेजों ने पूर्ण रूप से अपने अधीन कर लिया था! इंदिरा गाँधी के बचपन का नाम इंदु प्रियदर्शनी था.
इंदिरा गाँधी जी की शिक्षा (Education of indira gandhi)?
माँ की अस्वस्थता के कारण आपकी प्रारंभिक शिक्षा विधिवत रूप से नहीं चल सकी ! 1934 में इंदिरा गाँधी को प्राथमिकता शिक्षा हेतु रवीन्द्रनाथ टेगोर के शांति निकेतन भेजा गया !1937 मेंइनकी माता कमला नेहरू का देहांत हो गया ! इसके बाद इंदिरा जी को अध्यन करने स्विटजरलैंड भेज दिया गया ! सबसे अंत में उन्होंने ऑक्स्फ़र्ड के समरविला कॉलेज में अध्ययन किया! माँ की म्रत्यु सेउनका बचपन अस्थिरता में बिता ! पिता पंडित जवाहर लाल नेहरू अधिकतर स्वतंत्रता आन्दोलन से ही जुड़े रहे ! अत: राजनेतिक वातावरण उन्हें पैत्रिक विरासत के रूप में मिला! बचपन में ही स्वतंत्रता संघर्ष के लिए उन्होंने नेताओं की सहायता से वानर सेना गठित की थी ! इस कारण इंदिरा गाँधी प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से स्वतंत्रता आन्दोलन में अपना योगदान देती रही ! 21 वर्ष की आयु में इंदिरा गाँधी भारतीय कांग्रेस में शामिल हो गई.
प्रिय दर्शनी इंदिरा जी का विवाह (indira gandhi marriage)
आपका विवाह फिरोज गाँधी से हुआ था जो विवाहोंपरांत सांसद, कर्मठ युवा नेता और एक प्रमुख अँग्रेजी पत्र के संपादक के रूप में चर्चित रहे ! फिरोज गाँधी के प्रेम बंधन में इंदिरा जी ऑक्स्फ़र्ड विश्वविद्यालय में अध्ययन के दौरान ही बंध गयी थी! 1956 में आप सर्वसम्मति से कांग्रेस दल की आध्यक्ष चुन लि गई !1960 में आपके पति फिरोज गाँधी का आकस्मिक निधन हो गया पति की म्रत्यु के बाद आपने अपने दोनों पुत्रों राजीव गाँधी और संजय गाँधी के पालन-पोषण में कोई कमी नहीं आने दी ! आपने अपने दोनों बेटों के भविष्य को उज्ज्वल और स्वर्णिम बनाने के लिए उन्हें लन्दन उच्च शिक्षा के लिए भेज दिया!
जब आप प्रधानमंत्री पद के लिए चुनी गई?
देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के अचानक निधन के बाद लालबहादुर शास्त्री को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था, लेकिन शास्त्री जी भी प्रधानमंत्री बनने के लगभग डेढ़ वर्ष की अल्प अवधि में ही चल बसे थे ! उस समय सर्वाधिक सक्षम और योग्यतम व्यक्ति के रूप में श्री मति इंदिरा गाँधी को ही देश की बागडोर देते हुए प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया ! प्रधानमंत्री बनने से पूर्व इंदिरा जी श्री लाल बहादुर शास्त्री के मंत्रिमंडल में विभिन्नपदों पर कुशलतापूर्वक कार्य करके अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन कर चुकी थी ! भारत की सर्वप्रथम महिला प्रधानमंत्री पद की शपत आपको 48 वर्ष की आयु में 24 जनवरी 1966 को तत्कालीन राष्ट्पति सर्वपल्ली राधाकृषणन ने दिलाई थी! 1967 का आम चुनाव जो आपके नेत्रत्व में लड़ा गया था उसमे आपको अपार बहुतमत मिला और आप फिर से प्रधानमंत्री के पद पर आसीन हुई ! आपके प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए1971 में जब पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण किया तो आपने अपनी कूटनीति का परिचय देते हुए पाकिस्तान को मुहँ तोड़ जवाब दिया ! इस प्रकार पाकिस्तान के पूर्वी अंग का बांग्लादेश के रूप में उसका कायाकल्प करवा दिया.
जब आपकी हत्या कर दी गई (Death of indira gandhi)
सन1977 में पराजय के बाद इंदिरा गाँधी ने दोगुने साहस के साथ 1980 में चुनाव लड़ा और पुन: सत्ता में लौट आयी ! सत्ता मेंआने पर इंदिरा जी ही विश्व कीपहली महिला प्रधानमंत्री थी उन्होंने अपने नाम पर ही इंदिरा कांग्रेस नाम से एक नए राजनितिक दल की स्थापना की ! जयप्रकाश नारायण, राजनारायण, हेम्वंती नंदन बहुगुणा, मधु लिमये, चौधरी चरण सिंह, वाई.बी चौहान आदि राजनीतीज्ञो की लंबी पंक्ति इंदिरा गाँधी की प्रशंसक रही! इंदिरा जी की अत्यंत कुशल पारखी थी! समय की पहचान करके मध्यावधि चुनाव कराना, आपातकाल के अंतर्गत कड़ाई से शासन करना, गुटनिरपेक्ष सम्मेलन का अध्यक्ष बनना, कॉमनवेल्थ कांग्रेस का आयोजन, बेंको का राष्टीयकारण जैसे कई एहम फैसले उन्होंने महिला होते हुए भी लिए ! 31 अक्टूबर 1984 को उन्हीं की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मीयों ने गोलियों से भुनकर इतिहास पर कालिख पोत दी.
याद करेगा भारत का बलिदान तुम्हें !
याद रहेगा महाकाल का रूप तुम्हारा !
याद रहेगा शत्रु विमर्दन काम तुम्हारा !