A full essay on "Internet" in hindi - इंटरनेट पर निबंध?
A full essay on "newspaper" in hindi - समाचार पत्र पर निबंध?
हेल्लो दोस्त इस पोस्ट में आपको newspaper पर full essay in hindi language में या समाचार पत्र पर निबंध पढनें को मिलेगा और साथ ही history of newspaper और इसके बारे में अन्य सामान्य जानकारी भी प्राप्त होगी तो चलिए शुरू करते हैं.
History of Newspapers in hindi - समाचार पत्र का इतिहास?
सामाजिक प्राणी होने के नाते आज का मानव जिज्ञासा और ज्ञान की और सदैव आमुख रहता है ! वह लगातार बदलती हुई देश-विदेश की सामाजिक ,आर्थिक, और राजनैतिक परिस्तिथियों पर नजर बनाये रखना चाहता है ! आज के वैज्ञानिक युग में रोज नए-नए आविष्कार हो रहे है और इन सबको जानने का सबसे सस्ता माध्यम समाचार पात्र ही है ! इसमें सम्पूर्ण विश्व में घटित ताजा घटनाओ का सारपूर्ण संकलन होता है ! आज से कुछ शताब्दी पहले तक कोई समाचार पत्रों को जानता तक नहीं था ! तब संदेशवाहक होते थे जो यहाँ से वहा समाचार पहुचाने का कार्य करते थे ! इनकी शुरुआत के बारे में कई लोगो के अपने –अपने मत है ! कुछ लोगो का मानना है की समाचार पत्रों का जन्म इटली के वेनिस नगर में हुआ तो कुछ लोग इस बात पर जोर देते है की 1609 में जर्मनी से इनकी शुरुआत हुई.
Starting of Newspaper in India - भारत में शुरुआत?
भारत में सबसे पहले सन 1834 में INDIA-GUDGET नामक समाचार पात्र का प्रकाशन हुआ ! मुद्रण कला की प्रगति होने के बाद हिंदी का पहला साप्ताहिक समाचार पत्र, 30 मई 1826 को प्रकाशित हुआ जो उदंत-मार्तंड के नाम से जाना जाता था ! फिर राजा राम मोहन राय ने कौमुदी तथा ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने भी प्रभाकर नामक पत्र निकाले ! इसके बाद तो एक-एक करके सारे देश में ही कई प्रसिद्ध समाचार पत्रों का प्रकाशन शुरू हो गया और पाठकों की रूचि के अनुसार उनकी संख्या लगातार बढ़कर आज 50000 प्रतिदिन तक आ गयी है ! इनमे दैनिक तथा साप्ताहिक सभी प्रकार के समाचार पत्र सम्मिलित है ! रोजाना छपने वाले समाचार पत्र दैनिक तथा सप्ताह में सिर्फ एक बार छपने वाले समाचार पत्र साप्ताहिक कहलाते है इसी तरह एक पखवाड़े में छपने वाला समाचार पात्र पाक्षिक कहलाता है.
Newspaper: Face of World?
समाचार पत्रों के माध्यम से ही देश में लोकतंत्र को अपार सफलता मिली और ये जनता की आवाज तथा आपसी संवाद का माध्यम भी बने ! कई महान देशो के उत्थान और पतन में भी समाचार पत्रों का विशेष योगदान रहा ! समाचार पत्र कई आन्दोलन और विरोध सम्बन्धी घटनाओ के जनक रहे है ! एक समय था जब समाचर पत्रों की स्तिथि देश में सभी जगह अच्छी नहीं थी और लोगो को घटनाओ की आवश्यक जानकारी के लिए भी इधर से उधर भटकना पड़ता था ! कई मामलो में तो घटना के घटित हो जाने के कई दिनों बाद तक लोगो को इसका पता चलता था ! आज समाचार पत्रों ने अन्तराष्ट्रीय दूरी को भी कम कर दिया है ! अधिकतर समाचार पत्रों में सामाजिक मूल्यों को ही महत्व तथा प्राथमिकता दी जाती है ! समाचार पत्र से अभिप्राय ही है –की सबके साथ सामान आचरण होना.
Newspaper: Background Process?
किसी भी समाचार पत्र की सफलता उसके संवाददाता पर निर्भर करती है साथ ही इसके संपादन और व्यवसाय में अधिक लोगो और धन की आवश्यकता पड़ती है ! एक समाचार पत्र संवाददाता के बाद उसके संपादक फिर COMPOSSING के लिए भेजा जाता है ! यहाँ से निकल कर वह अपने अगले स्तर PROOFING उसके बाद पेज और अंत में छपने के लिए MACHINE विभाग में भेजा जाता है ! पूरी तरह तैयार हो जाने के बाद उसे हवा , रेल या सड़क मार्ग की यात्रा करनी पड़ती है ! वितरण करने से पहले इसमें स्थानीय विज्ञापन ,उत्पाद आदि भी सम्मिलित कर दिए जाते है ! इनमे युवा से लेकर वृद्ध तक तथा बच्चो से लेकर महिलाओ तक पठन सामग्री उपलब्ध रहती है.
Types of Newspapers in Iindia?
भारत में समाचार लगभग सभी भाषाओ जैसे हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी, बंगाली, मराठी, संस्कृत आदि में छपते है ! विभिन्न क्षेत्रो तथा बोले जाने वाली भाषाओ के आधार पर यह स्तिथी अलग-अलग स्तर तक पाई जाती है ! प्रमुख भारतीय हिंदी अखबार-नवभारत टाइम्स, देनिक हिंदुस्तान, राष्ट्रीय सहारा, अमर उजाला, दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका, पंजाब केसरी आदि है ! अंग्रेजी में छपने वाले अखबारों में टाइम्स ऑफ़ इंडिया, हिन्दुस्तान टाइम्स, इंडियन एक्सप्रेस एशियाई ऐज आदि प्रसिद्ध है ! इनके अलावा भी कई ऐसे स्थानीय अखबार है जिनकी संख्या कम होने या क्षेत्र विशेष में पहुच होने से वो इतने प्रसिद्ध नहीं हो पाए है.
Newspapers future in India?
वर्तमान में विचारों की प्रधानता है और विचारो को स्पष्ट और सही रूप में व्यक्त करने का श्रेष्ठ साधन समाचार पत्रों के अलावा और कुछ हो नहीं सकता ! समाचार पत्रों की पहुँच देश के कोने-कोने में गरीब, असहाय, आम जनमानस से लेकर सभ्य, शिक्षित और संपन्न लोगो तक है ! समाचार पत्र समाज और राजनीति की कुरीतियों को भी हटाने तथा विरोध करने में अब तक सफल साबित हुए है ! समाचर पत्र सरकार की तानाशाही नीतियों को आम जनता को प्रभावी रूप में समझाते है और उस राजनैतिक दल की दशा और दिशा परिवर्तन करने की क्षमता रखते है अतः भारत में समाचार पत्रों का भविष्य अत्यंत ही उज्जवल है.
Essay on Confused Youth : Reason and Solution in Hindi?
युवा अवस्था में कर्त्तव्य का पालन करना ही सबसे बड़ा धर्म माना गया है ! परिवार के सदस्यों की जरूरतों का ध्यान रखना, उनका मान-सम्मान करना, अपने देश के प्रति गर्व का भाव, उसकी छवि का ध्यान रखना, सामाजिक परम्पराओ का सम्मान, स्वच्छ और सार्थक राजनीति के लिए संघर्ष करना, शिक्षा के प्रति जागरूक रहना तथा नशे से दुरी बनाये रखना – आदि ! उत्तरदायित्वों से आज का युवा दूर होता जा रहा है ! आजकल के युवा के confuse होने का प्रमुख कारण है- मूल उद्देश्य से दूरी बनाना, नैतिकता का त्याग कर देना ,अनुचित उद्देश्य की पूर्ती करने हेतु कई प्रकार के अवांछित कार्यों को प्राथमिकता देना-आदि ! इस स्थिति से आज के युवा का आचरण के साथ ही उसकी आदतों और उसके चरित्र का पतन भी दिखाई देने लगा है ! यह स्थिति लगातार हमारे सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक मूल्यों को गिरा रही है और साथ ही राष्ट्र के लिए भी घातक है.
CINEMA : EFFECT ON YOUTH?
वर्तमान में अश्लील फिल्मो की संस्कृति ने युवा वर्ग को अपने मूल आदर्शो से ही विमुख कर दिया है !इससे उनमे वैचारिक शुन्यता का भाव ,चरित्र की हीनता और साथ ही भ्रष्टता भी बढ़ रही है ! युवा वर्ग में निराशा का प्रमुख कारण है- बेरोजगारी और आरक्षण की नीति से यह स्थिती और भी ज्यादा खराब हो गयी है ! आज का युवा वर्ग अपनी महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए कई प्रकार के short-cut और अनैतिक रास्ते अपनाने लगा है ! आजकल के युवा को अधिक से अधिक धन तथा बहुत सारे अधिकार अपने पास चाहिए और यह मानसिकता मूलतः उपभोक्ता संस्कृति से ही पैदा हुई है ! कई अन्य युवा भी ऐसे ही युवाओ का अनुसरण करने लगे है जिससे उनका भी चरित्र पतन और आचरण भ्रष्ट हो गया है ! विभिन्न प्रकार की कुत्सित मनोवृत्ति वाले युवा ऐसे कुकर्त्य कर बैठते है और इन सबके पीछे है विलासिता के साधनों का अधिक प्रयोग, विभिन्न प्रकार के मादक पदार्थो का सेवन करना –आदि ! आज का कोई भी युवा पाश्चात्य संस्कृति से अछुता नहीं रह गया है ! fashion के नाम पर अर्धनग्न पश्चिमी पहनावा और मनोरंजन के भरपूर साधनों का चलन आज के सभ्य -समाज में सामान्य सी बात हो गयी है .
USELESS: EDUCATION SYSTEM?
हमारी शिक्षा प्रणाली ऐसी है की छात्र-छात्राओ को बचपन से ही सार्थक ज्ञान नहीं मिल पाता इससे उनकी रचनात्मकता और सर्ज्जन शक्ति का लगातार हास होता चला जाता है और आधा –अधूरा ज्ञान प्राप्त होने से वो नशे आदि का सेवन करने लगते है ! vote-bank की राजनीती ने देश में असंतुष्ट और बेरोजगार युवाओ की एक फौज सी खडी कर दी है और लूट, अपहरण, हत्या आदि तक उनका यह स्तर गिर जाता है ! कई मामलो में तो शिक्षा-प्रणाली में राजनैतिक दबाव तक देखा गया है ! कई तात्कालिक उदाहरण ये भी बताते है की आजकल की युवतियां भी ऐसे अनर्गल और अनैतिक कार्यों में संलिप्त पी गयी है जो की बड़े ही शर्म का विषय है लगातार बढ़ती आक्रोश की भावना से देश में अपराधो की बाढ़ सी आ गयी है और हत्या, बलात्कार, डकैती जैसे अपराध आज सर्वत्र बहुत ही सामान्य हो गए है ! वर्तमान में हमारे युवा वर्ग का इस स्थिति की और लगातार चलते रहना इस समाज और देश के भविष्य के लिए अत्यंत ही हानिकारक सिद्ध होगा इसलिए शीघ्र ही इस स्थिति पर नियंत्रण पाना वर्तमान समय की गंभीर आवश्यकता है .
Guardians: responsibilities of children?
आजकल के माता-पिता, guardians और घर के सभी बड़े लोगो का कर्तव्य है की बचपन से ही वे उनके बच्चो को उनकी संस्कृति और सभ्यता , जीवन के मूल्यों , नैतिकता और आदर्शो ,सिद्धांतो से अवगत कराये क्योंकि बाल मन का कोमल मस्तिष्क ही देश और धर्म के प्रति कर्तव्यो का अनुसरण कर सकता है ! व्यस्क होने पर आज कल के वातावरण में ये सब बाते उन्हें व्यर्थ लगने लगती है इसके लिए हमें सर्वप्रथम विदेशी सभ्यता का अन्धानुकरण छोड़ना होगा और हमारी गोरवशाली परंपरा का महत्व समझाना होगा Entertainment के नाम पर फैलाई जा रही इस अश्ललीलता को नियंत्रण में लेते हुए इसे भारतीय संस्कृति के अनुकूल बनाना होगा, साथ ही इस देश की सरकार को भी बेरोजगारी और गरीबी जैसी विकट समस्याओ के स्थायी उपाय ढूँढने पड़ेंगे ! शिक्षा का सर्वत्र प्रचार-प्रसार , कड़ी -मेहनत, ईमानदारी और सयंम्शीलता जैसे नैतिक गुणों से ही आज के दिग्भ्रमित-युवा को आधुनिक भारत का भविष्य निर्माता बनाया जा सकता है.
A full essay on "Talent-Migration" in hindi - प्रतिभा-प्रवासन एक विकट समस्या?
इस पोस्ट में Talent-Migration (प्रतिभा-प्रवासन एक विकट समस्या) पर हिंदी निबंध (hindi essay) पढने को मिलेगा तो चलिए शुरू करते हैं? आपको किसी भी देश के शिक्षित नौकरीपैशा वर्ग जैसे DOCTOR, ENGINEER और SCIENTIST आदि के प्रतिभाशाली लोगो का बेहतर सुविधा मिलने पर किसी दुसरे देश में चले जाना ही प्रतिभा का पलायन कहा जाता है ! किसी भी विकसित या विकाशसील देश में प्रतिभाशाली लोगो का होना उस देश की आर्थिक प्रगति के लिए अत्यन्य आवश्यक है ! प्रतिभा का पलायन होने की समस्या वर्तमान में भारत जैसे देश में भी पैर पसार रही है और इसके महत्वपूर्ण कारण है-resources की कमी, जरूरी सुविधओं का अभाव होना, सरकार की तरफ से की जाने वाली उपेक्षा -आदि !सरकार की तरफ से की जाने वाली यह उपेक्षा इंदिरा गाँधी के कार्यकाल से लेकर वर्तमान तक किसी न किसी रूप में विधमान रही है ! जहा एक और यहाँ की सरकारे संसाधन और बजट की कमी बताकर इस समस्या की गंभीरता को लगातार बढ़ाए चली जा रही है वही दूसरी और विदेशी आर्थिक स्थिती से संपन्न सरकारे विशेष package के नाम पर लगातार इन्हें अपनी और आकर्षित कर रही है.
Indian Example of Talent-Migration?
Unprofessional: Education System?
इसका प्रमुख कारण हमारी शिक्षा व्यव्स्था की अनियमितता, अराजकता -आदि है ! एक सर्वे के अनुसार आज भी अमेरिका में स्थानीय doctor की संख्या से अधिक भारतीय doctor है ! ऐसा नहीं है की वर्तमान प्रतिभाओ में देशभक्ति का अभाव है डा. अब्दुल कलाम को अमरीकी सुविधाओ ने अपनी और नहीं खीचा और वे अपनी काबिलियत के दम पर यही भारत में ही मिसाइलमैन बने, इसी तरह मेजर ध्यानचंद ने भी हिटलर का प्रस्ताव ठुकराया था ! ऐसा नहीं है की इस समस्या के पीछे सारे नैतिक कारण ही है और न ही हमारे शिक्षा प्रणाली में कोई विशेष परिवर्तन आये है! इस तरह गहराई से विचारने पर ये सब तर्क हमे अनावश्यक ही प्रतीत होते है.
Migration of Civil Service Talent?
सिविल सेवाओ में भी प्रतिभा का पलायन एक महत्वपूर्ण विषय है ! UNCTAD की एक ताजा रिपोर्ट बताती है की एक भारतीय Engineer का खर्चा 55000 डॉलर है जो की भारत जैसे विकाशशील देश के लिए बहुत ज्यादा है सिविल सेवा के अधिकारियो में इन डॉक्टर और इंजिनियर की संख्या लगातार बढती जा रही है जिससे इनके क्षेत्र में इस प्रतिभा की लगातार कमी होती जा रही है! डिग्रीधारियो के प्रशासन में जाने से देश को दोहरी मार पड़ रही है ! इस तरह एक और इनकी शिक्षा में बहुत ज्यादा पैसा लगता है तो दूसरी और इनकी प्रतिभा का उचित उपयोग भी नहीं हो पाता है !
सारे आकडे देखे जाए तो एक बात बिलकुल साफ़ है की पलायन के पीछे छुपा हुआ मूल कारण विवशता ही है ! सामान्यतया प्रतिभाये अपने उज्जवल भविष्य को देखते हुए पलायन को विवश होती है ! अन्य समस्यों की तरह यह भी भारत की एक ज्वलंत समस्या है जिसका जल्दी ही निराकरण किया जाना आवश्यक है ! इसके लिए यहाँ की सरकारों को वो सभी सुविधाएँ इन प्रतिभाओ को देनी पड़ेंगी जो इन्हें विदेशो में वर्तमान में मिल रही है, आरक्षण आदि की कुरीति का त्याग करना पड़ेगा, भेदभाव भुलाकर योग्यता को प्राथमिकता देनी पड़ेगी ! अन्यथा भारत को सर्वोच्चता के शिखर पर ले जाने का यह स्वप्न केवल दिवा स्वप्न ही बनकर रह जायेगा.
Laxmi Niwas Mittal Biography in Hindi - लक्ष्मी निवास मित्तल जी की जीवनी?
हेल्लो मित्र जानते हैं "लक्ष्मी निवास मित्तल जी" (A short Laxmi Niwas Mittal Biography in Hindi) के जीवनी के बारे में जो स्टील के शहंशाह है? इस पेज में आपको लक्ष्मी निवास मित्तल जी के जीवन पर एक निबंध पढ़ने के लिए मिलेगा तो चलिए शुरू करते हैं.
लक्ष्मी निवास मित्तल जी का जीवन परिचय?
लक्ष्मी निवास मित्तल का जन्म राजस्थान के बाड़मेर में हुआ था ! उनके पिता का नाम मोहन लाल मित्तल था, मित्तल की शिक्षा लन्दन में हुई ! उन्होंने अपने इस्पात व्यापार की शुरुआत एक छोटे से व्यापारी के रूप में की किन्तु आज मित्तल विश्व का सबसे बड़े इस्पात उपादक के रूप में जाने जाते है ! उनको स्टील का उत्पादन करने वाली विशाल कम्पनियों को खरीदने की धुन है ! सर्वप्रथम उन्होंने एक इंडोनेशियन कम्पनी को खरीदा था और देखते ही देखते विश्व की स्टील उत्पादन करने वाली दूसरी सबसे बड़ी कंपनी आर्सलर को खरीद लिया ! आर्सलर कंपनी नीदरलैंड के व्यापारी जोसफ कीन्स की है.
लक्ष्मी मित्तल जी का व्यापारिक सफ़र?
मित्तल को आर्सलर को खरीदने हेतु काफी मशक्कत करनी पड़ी ! जब उन्होंने आर्सलर खरीदने का इरादा व्यक्त किया तभी यूरोप के व्यापार जगत उनकी इस मंशा का विरोध किया ! यूरोपियन व्यापार जगत का तर्क था की मित्तल भारतीय समुदाय से सम्बन्ध रखते है तथा सामान्यत: ये देखा गया है कि एशियन विशेषकर भारतीय उतने प्रोफेसनल नै होते जितने कियूरोपियन ! दूसरी समस्या थी की आर्सलर में 62000 के लगभग कर्मचारी विश्व भर में कार्य करते है तथा उनमे अधिकांश यूरोपियन है ! उनको मित्तल की क्षमता पर संदेह था की वह उन कर्मचारियों को उस तरह से नहीं रख पाएंगे जिस प्रकार से यूरोप की आर्सलर कंपनी का प्रबंधक उन्हें रखता था ! भारतीय समुदाय का अपना तर्क यह था कीजब मित्तल पूरी पूरी राशी उस कम्पनी को खरीदने में अदा क्र रे है तथा नियमो तथा शर्तो का पालन करने का वचन दे रहे है | तभी मित्तल की आर्सलर को एक्वायर करने से रोकना कुछ नहीं केवल नस्लवाद है ! अन्तत: मित्तल का आर्सलर से समझौता 18 जून 2006 को हुआ.
आर्सलर कंपनी के समझोते के नियम?
2) नई कंपनी का उत्पादन 110 मैट्रिक टन होगा जो उसके निकटम प्रतिद्वंदीसे 3 गुना अधिक होगा
3) इसके 27 देशो में 61 प्लांट्स होंगे
4) वन शेयर वन एग्रीमेंट
5) किंस 2007तक चेयरमैन होंगे ! फिर 2007 में लक्ष्मी मित्तल चेयरमैन होंगे
6) बोर्ड में 18 सदस्य होंगे 6 मित्तल स्टील के , 3 आर्सलर के तथा तीन एम्प्लायी प्रतिनिधि
7) मैनेजमेंट बोर्ड में 6 सदस्य होंगे
मित्तल द्वार अब तक कम्पनीयों का एक्विजिशन?
3) 1994 सिबके डैस्को, कनाडा (455 मिलियन डॉलर)
4) 1995 हम्बर्गर स्थाल वर्क, जर्मनी
5) 1995 करमेट, कजाकिस्तान(950 मिलियन डॉलर)
6) 1997 स्थाल वर्क रहुरोट एंड
7) 1998 इंग्लैंड स्टील कंपनी (यू. एस.) (1430 मिलयन डॉलर)
8) 1999 युनिमेटल, फ़्रांस (120 मिलयन डॉलर)
9) 2001 अल्फ़ा सिड अल्जीरिया, सिड़ेक्स रोमानिया
10) 2003 नोवा हट ,चेक गणराज्य (905 मिलियन डॉलर)
11) 2004 पोल्सकी हुटी,पोलैंड (1050 मिलियन डॉलर)
12) 2004 बाल्कन स्टील, बोस्निया
13) 2004 टेपरो लासी, रोमानिया
14) 2004 साइड रुजिका, रोमानिया (126 मिलियन डॉलर)
15) 2004 बी.एच. स्टील बोस्निया (280 मिलियन डॉलर)
16) 2004 इस्कोर स्टील , द.अफ्रीका (280 मिलियन डॉलर)
17) 2005 हुनान वेलिन, चीन (37.17%)
18) 2005 इंटरनेशनल स्टील, यू .एस (4.5बिलियन)
Full essay on "Indian Culture" in Hindi - भारतीय संस्कृति पर निबंध?
Now find out full essay on "Indian Culture" in hindi (इंडियन कल्चर एस्से), इस पेज में भारतीय संस्कृति पर पूरा निबंध दिया गया है? यहाँ पर स्कूल के विद्यार्थियों के लिये बेहद सरल शब्दों के साथ निबंध उपलब्ध करा रहें हैं तो चलिए शुरू करते हैं.
Indian culture essay in hindi - भारतीय संस्कृति पर निबंध?
भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीन संस्कृतियों में से एक है ! इसकी सबसे बड़ी विशेषता जीवन में योग व त्याग का समन्वय है ! विद्वानों ने संस्कृति की परिभाषा देते हुए कहा है की संस्कृति का अर्थ स्वभाव, चरित्र, विचार और कर्म की वे अच्छाईयां है जो शिष्ट लोगों के जीवन का अंग होती है तथा जिनकापालन परिवार, वर्ग, समाज तथा राष्ट्र की विशेषता बन जाता है ! संस्कृति में धर्म, समाज, निति, राजनीती, दर्शन, साहित्य, परम्परायें, मानवीय मूल्य तथा सोन्दर्य बोध आदि सभी समाहित होते हैं ! हमारे देश की जनसंख्या आज करीब एक अरब से भी अधिक हो गई है ! इतनी बड़ी जनसंख्या होने के बावजूद अनेकता पाया जाना कोई बड़ी बात नहीं है ! हमारे देश में करीब दो हजार से ज्यादा जातियां है ! इसी तरह भाषाओँ और बोलियों की संख्या भी पांच सौ से अधिक है?
Indian Culture सबको सुखी और प्रसन्न रखना चाहती है ! यह वसुधा को ही कटुम्ब मानने में विश्वास रखती है ! भारतीय संस्कृति का मुख्य उद्देश्य सार्व जन हिताय तथा सार्व जन सुखाय है ! भारतीय संस्कृति में कहा गया है की व्यक्ति जिस रूप में ईश्वर की अर्चना करता है ईश्वर भी उसी रूप में स्वीकार करता है ! केवल श्रद्दा सच्ची होनी चाहिए ! वैदिक काल से ही भारतीय संस्कृति में ईश्वर के विभिन्न रूपों को मानने की स्वतंत्रता थी जो की निरंतर जारी है ! यही कारण है की हमारी संस्कृति में ईश्वर को भिन्न-भिन्न नामों से पुकारा जाता है ! भारतीय संस्कृति की एक और विशेषता है की यह आनंद प्रधान है ! इससे हमें सिख मिलती है की सुख-दुःख, लाभ-हानि, विजय-पराजय, उत्थान-पतन, हर्ष-विषाद आदि में मानसिक संतुलन और संभव बनाये रखना चाहिए ! उक्त गुण हर भारतीय में देखने को मिलते है ! भारतीय संस्कृति अपनी इन्हीं विशेषताओं के कारण आज भी अपने को बचाये हुए है ! ऐसे गुण न होने के कारण ही यूनान, मिश्र तथा रोम आदि संस्कृतियों के बारे में पढने या सुनने को तो मिलता है लेकिन देखने में नहीं मिलता?भारतीय साहित्य, संगीत, मूर्तिकला, चित्रकला, वास्तुकला, नृत्यकला आदि को देखने से यह स्पष्ट हो जाता है की भारतीय संस्क्रती वाले भारतीयों का जीवन हमेशा आनन्दपूर्ण रहा है ! इस बात का संदर्भ उपनिषदों में भी देखने को मिलता है ! भारतीय संस्क्रती की तीसरी विशेषता है कर्मवाद ! इसके तहत यहाँ किसी को भी कर्म से मुक्ति नहीं है ! चारों वर्णों और आश्रमों के लोगों के लिए नियत कर्म आजीवन करने का आदेश है ! भारतीय संस्क्रती की चौथ विशेषता विचारों की स्वतंत्रता है ! यदि सरल और साफ़ शब्दों में कहा जाये तो इससे अभिप्राय अपना-अपना मत प्रकट करने की या विचार परिवर्तन करने की हमारे देश में हमेशा स्वतंत्रता रही है. शासन की और से किसी को कोई मत विशेष मानने के लिए बाध्य नहीं किया जाता ! किसी विशाल हर्दय स्वतंत्रता तथा उदारता के कारण हमारे देश में सार्व धर्म समभाव पाया जाता है ! मतों या विचारों को लेकर हमारे देश में कभी खून-खराबा नहीं हुआ ! इसको लेकर शास्त्रार्थम वेड और उपनिषदों की उदारता, दर्शनशास्त्र, जातक ग्रंथों, रामायण और महाभारत में भी दिखाई पड़ती है ! पश्चिमी देशों के विद्वानइसी कारण भारतीय संस्क्रती पर मुग्ध हो इसका गुणगान करने के लिए बाध्य हुए ! थोरों, वार्ड, सोपनहावर जैसे अंग्रेज़ी दार्शनिकों ने भी श्रद्धापूर्वक भारतीय संस्क्रती की सराहना की है ! भारतीय संस्क्रती की सबसे बड़ी विशेषता यह है की यह सबको अपनाने, सबको गले लगाने, सबके गुणों को ग्रहण करने और सबकी विशेषताओं को सराहने की शिक्षा देती है लेकिन अब भारतीय संस्क्रती पर पाश्चात्य संस्क्रती धीरे-धीरे हावी होती जा रही है ! त्याग, तपस्या, दया तथा संतोष का स्थान अब भोगवाद व भौतिकवाद लेता जा रहा है ! संस्क्रत व हिंदी भाषा छोड़ जनता अंग्रेज़ी के पीछे भाग रही है ! खान-पान, रहन-सहन, आचार-विचार समेत हर क्षेत्र में हम लोग पाश्चात्य संस्क्रती का अनुसरण करने लगे है ! इस प्रकार हम अपनी भारतीय संस्क्रती से मुहँ मोड़ने लगे है.
full essay on "my village" in hindi - हमारे गाँव पर निबंध?
Now find out a full essay on "my village" in hindi language या हमारे/मेरे गाँव पर निबंध लेख? इस पेज में आपको गाँव और किसान के बारे में सभी प्रकार की सामान्य जानकारी मिलेगी तो चलिए शुरू करते हैं.
A full essay on our village - हमारे गाँव?
हमारा देश भारत गांवों का देश है ! यहाँ की अधिकांश जनसंख्या गांवों में ही निवास करती है ! भारत की अर्थ् व्यवस्था के विकास में कुटीर उद्योग ,पशु धन ,वन मौसमी फल एवं सब्जियों इत्यादि इन सब के योगदान को अनदेखी नहीं की जा सकती! वर्तनाम में गाँव देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है ! हमारे देश की आत्मा गाँव ही है ! इन गांवों में ही मेहनत कश किसान व् मजदुर निवास करते है जो की देश वासियों के अन्दाता है ! किसानों के परिश्रम में जहाँ हमें खाद्य सामग्री मिलती है वहीं वे भारतीय अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है ! देश की खुशहाली किसानों के परिश्रम और त्याग पर निर्भर करती है ! वैसे भी देश का यदि वास्तविक रूप देखना तो गांवों में इसे देखा जा सकता है ! इन सबके अलावा गाँव हमारी सभ्यता के प्रतिक है ! स्वंत्रता प्राप्ति से पूर्व यदि गांवों की और धयान दिया जाता तो गांवों की स्थिति आज कुछ और ही होती ! यदि मानव जंगलो व् गुफ़ाओ में रहता था.जैसे जैसे आदि मानव नें अपने जीवन क्षेत्र में उन्नति की वैसे वैसे गांवों का स्वरूप सामने आने लगा ! यही से गांवों की सभ्यता का विकास हुआ ! अपनी सभ्यता का विस्तार करते हुए मानव नें नगर सभ्यता की नीव रखी ! शहरों की अपेक्षा आज भी गांवों का प्राकर्तिक सौन्दर्य अधिक है ! वहाँ प्रकर्ति अपने ही रूप में है ! उसमे किसी तरह की कृत्रिमता नहीं है ! गांवों की सुन्दरता और वहाँ का प्राकर्तिक वातावरण सहज ही किसी को अपनी और आकर्षित कर लेता है ! शहरों का जन्मदाता गाँव ही है ! यह सत्य है की मानव का आरम्भिक जीवनकाल जंगलो और पर्वतो में बीता ! इसके बाद वह समूह में रहने लगा और जहा वे लोग रहने लगे वही आस पास कृषि आदि करने लगे ! इस तरह गांवों का अस्तित्व शुरू हुआ ! गाँव में भी मनुष्य नें सभ्यता का पहला चरण रखा ! गाँव से सभ्यता संपन होने के बाद वह धीरे धीरे अपना रूप बदलते हुए नगर कहलाई ! वास्तव में गाँव मनुष्य द्वारा बसाये जाने के बाद फले फुले और बने ठने हुए है ! जब की नगर पूर्ण रूप से कृत्रिमता से सजाये जाते है !यही कारन है की गाँव किसी को भी आपनी और सहज आकर्षित कर लेते है !
भारतीय गाँव सदियों से शोषित और पीड़ित रहे है ! अशिक्षा अज्ञान आभाव जैसी समस्याओ से आज भी कई गांवों को दो चार होना पड रहा है ! सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों से हलाकि गांवों की स्थिती में कुछ सुधार हुआ है लेकिन अभी भी उनमे काफी सुधार की गुंजाईश है ! हाँ ये जरुर है की किसानओ को जमीदार का शोषण नहीं झेलना पड़ रहा है ! गांवों के उधार के लिए सरकार द्वारा जो योजनाऐ बनाई जा रही है उनका पूरा लाभ गांवों को नहीं मिल पा रहा है इसका आधे से ज्यादा हिस्सा भ्रष्ट राजनीतिज्ञ व् कर्मचारी हड़प लेते है.
किसान की दिनचर्या?
गांवों में विकास के बावजूद वह अपना रूप संजोय हुए है ! वहाँ परिवर्तन इतनी तेजी से नहीं हो पा रहा जितना की शहरों में हो रहा है ! हालाकि अब गाँव में शिक्षा के प्रसार के लिए स्कूल खोले जा रहे हैं ! किसानों की आर्थिक स्थिती सुदृढ़ करने के लिए सहकारी समितियां खोली जा रही हैं ! इन समितियों द्वारा जहाँ किसानों को लोन दिलाई जा रहे है वही उनके क्रषि उत्पाद खरीदकर उन्हें उचित लगत दिलाई जा रही है ! गाँव में मेहनतकश किसान सूरज निकलते ही अपने खेतों को और निकल पड़ता है ! मौसम के हिसाब से बोई गई फसल की निराई-गुडाई कर फिर दोपहर में घर लोटता है ! दोपहर का भोजन कर फिर वह खेतों की और निकल पड़ता है ! सूरज डुबते समय ही वह अपने घर की और रुख करता है ! घर लौटने पर एनी कार्य निपटाने के बाद वह गाँव में बनी चौपाल पर वर्तमान राजनीती या अन्य मुद्दों पर वहां उपस्थित अन्य किसानों से वार्ता करता है ! लगभग यही दिनचर्या गर्मित महिलाओं की भी है.
महात्मा गाँधी क्रत्रिमता की अपेक्षा मौलिकता के समर्थक थे ! इसलिए उनका कहना था की भारत की आत्मा गांवों में बसी हुई है ! इसलिए गाँधी जी ने गांवों की दशा सुधारने के लिए ग्रामीण योजनाओं को कार्यान्वित करने पर विशेष बल दिया था.